नेशनल
अश्लील व्हाट्सएप मैसेज भेजने के आरोप में 34 पायलटों पर कार्रवाई
नई दिल्ली। चार निजी एयरलाइन कंपनियों के 34 पायलटों को व्हाट्सएप ग्रुप पर अधिकारियों के खिलाफ अश्लील मैसेज पोस्ट करने के आरोप है। विमानन नियामक डीजीसीए की ओर से शिकायत किए जाने पर मंगलवार को इन सभी को उड़ान ड्यूटी से हटा दिया गया। पुलिस ने इन पायलटों से इस मामले में पूछताछ भी की है।
ये पायलट जेट एयरवेज, स्पाइसजेट, गोएयर और इंडिगो में कार्यरत हैं। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ने कथित तौर पर व्हाट्सएप संदेशों के स्क्रीनशॉट भी जमा कराए हैं। इसमें पायलटों ने कथित तौर पर डीजीसीए पर निशाना साधने के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
ये चैट कथित रूप से निदेशक को लीक किए गए। सूत्रों ने बताया कि इनमें से कुछ टेक्स्ट ‘बेहद आपत्तिजनक’ हैं और इसमें परिवार के सदस्यों तक को अभद्र तरीके से निशाना बनाया गया है। इन पायलटों को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया था।
सूत्रों ने कहा कि डीजीसीए के अधिकारी ने इन पायलटों को उड़ान ड्यूटी से हटा दिया है। साथ ही एयरलाइन को उनकी मानसिक जांच कराने को भी कहा है क्योंकि वे कोई पद भी ठीक से नहीं लिख पाते हैं। डीजीसीए के संयुक्त महानिदेशक ने पायलटों की ओर से उन्हें लिखे पत्र में उनके पद का सही उल्लेख न करने के लिए आपत्ति जताई थी।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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