Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

ऑफ़बीट

इन गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों को दें मौज मस्ती की खुली छूट

Published

on

ग्रीष्म अवकाश, छुटि्टयों, गर्मियों, मौज–मस्ती

Loading

नई दिल्ली। जब सूरज की गर्मी हर किसी के शरीर से पसीना बहाने लगती है, तब बच्चों को पढ़ाई से पसीना बहाने से मुक्ति मिलती है, यानी बहुप्रतीक्षित ग्रीष्मावकाश। बच्चे पढ़ाई के बोझ से मुक्त इस अवधि को मुक्त रूप से जीना चाहते हैं। किताबों की दुनिया से अलग..अपनी अलग दुनिया में, जिसमें शामिल होती है मौज-मस्ती, खेल-कूद, घूमना-फिरना.. और भी ना जाने क्या..क्या..।

ग्रीष्म अवकाश, छुटि्टयों, गर्मियों, मौज–मस्ती

बच्चे आखिर ऐसा करें भी क्यों न.. इन छुट्टियों का उन्हें जो लम्‍बे समय से इंतजार रहता है। कुछ बच्चे अपनी दादी-नानी के घर जाकर मुक्त रूप से मौज-मस्ती करते हैं, तो कुछ परिवार के साथ पर्यटन स्थलों का रुख करते हैं। जिन्हें ये सब नसीब नहीं हो पाता, वे अपने घर, गली-मुहल्ले में ही मौजूद मनोरंजन और खेल के साधनों से मन बहलाते हैं।

क्या छुट्टियों का मतलब सिर्फ मौज-मस्ती ही है

राष्ट्रीय राजधानी के उत्तम नगर में स्थित कुमार पब्लिक स्कूल में शिक्षिका मीनाक्षी शुक्ला कहती हैं, “बच्चों की छुट्टी मौत-मस्ती के लिए ही होती है। लेकिन बच्चे ऐसा न करें कि सिर्फ खेल-कूद में ही अपनी छुट्टियां बिता दें, और स्कूल आने तक पढ़ाई में उनकी रुचि खत्म हो जाए। रुचि बनाए रखने के लिए बच्चों को रोजाना दिन में एक-दो घंटे पढ़ाई भी करनी चाहिए।”

शुक्ला ने कहा, “मानसिक विकास के लिए बच्चों को खेल-कूद में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए और घर के अंदर खेले जाने वाले खेलों के बजाय बाहर के खेलों में उन्हें अधिक रुचि लेनी चाहिए।”

मीनाक्षी आगे कहती हैं, “माता-पिता भी बच्चों के साथ वक्त बिताएं। उन्हें समझें, उनसे बातचीत करें, ताकि दोनों आपस में चीजों को समझ सकें।” उन्होंने कहा, “शिक्षकों को भी चाहिए कि वे बच्चों को होमवर्क में लिखने-पढ़ने के साथ-साथ अन्य गतिविधियों से संबधी काम भी दें, ताकि हॉलीडे होमवर्क में उनकी रुचि बनी रहे।” लेकिन बच्चे तो बच्चे ही हैं। छुट्टियों को लेकर उनकी सोच और योजनाएं अलहदा हैं।

दिल्ली के गवर्नमेंट क्वाइट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आठवीं के छात्र कुणाल कश्यप का कहना है, “मैं छुटि़टयों में खूब मस्ती कर रहा हूं। हमारे यहां पार्क में नए झूले लगे हैं और मैं इसे एन्जॉय कर रहा हूं। ..और हां, मैं ट्यूशन भी जाता हूं और पढ़ाई भी करता हूं।” नानी के घर जाने के बारे में पूछे जाने पर कुणाल ने मजाकिया लहजे में कहा, “ना बाबा, मैं ‘बाहुबली-2’ में कटप्पा को देखने के बाद वहां नहीं गया।”

दिल्ली के केंद्रीय स्‍कूल के छात्र यासीर खान कहते हैं, “छुट्टियों में खूब मस्ती कर रहा हूं। काश छुट्टियां हमेशा रहतीं.. लेकिन मम्मी मुझे ट्यूशन भी भेजती हैं।” छठी कक्षा के छात्र तुषार भी अलग नहीं हैं। वह कहते हैं, “मुझे क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है, अपने दोस्तों के साथ खेलता हूं। छुट्टियों का भरपूर आनंद ले रहा हूं।”

चौथी कक्षा की कशिश की कहानी अलग है। वह कहती हैं, “घर में मम्मी के साथ रहती हूं, डांस करती हूं और होमवर्क भी करती हूं। शाम को पार्क में खेलने जाती हूं।” तो ये हैं बच्चों की छुट्टियों का लेखा-जोखा, छुट्टियों को लेकर उनकी सोच, उनकी भावनाएं, और उसे जीने का उनका अंदाज।

बेशक सभी बच्चे छुट्टियों में मौज-मस्ती चाहते हैं। लेकिन उनके माता-पिता उनकी इस मस्ती में कभी-कभी खलनायक की तरह पेश आते हैं। माता-पिता को डर लगता है कि उनका बच्चा खेल-कूद के चक्कर में पढ़ाई में पिछड़ ना जाए। लेकिन कुछ माता-पिता बच्चों को बचपन का आनंद लेने की पूरी आजादी भी देते हैं।

उत्तम नगर इलाके की रहने वाली गृहिणी सीमा त्रिवेदी ऐसी ही एक मां हैं। वह कहती हैं, “मेरी बेटी नौवी में है और उसकी फिलहाल छुट्टियां चल रही हैं। वह जो चाहती है, करने देती हूं। वह पर्सनलिटी डेवलपमेंट का कोर्स भी कर रही है। हां, पढ़ाई भी करती है और उसे थोड़ा-बहुत घर में काम भी सिखा रही हूं। वह समझदार है, शाम को सहेलियों के साथ खेलती भी है।”

राष्ट्रीय राजधानी से लगे गुड़गांव के एमएमपीएस स्कूल की प्राचार्या मधु खंडेलवाल के विचार भी कुछ ऐसे ही हैं। वह बच्चों को छुट्टियों में पूरी आजादी देने की वकालत करती हैं। वह कहती है, “छुट्यिां ऐसी चीज हैं, जब बच्चे खुद के लिए वक्त बिताते हैं। माता-पिता के साथ रहते हैं। यह ऐसा समय होता है, जब आप आरामदायरक पल जीते हैं और गर्मियों की छुट्यिां इसीलिए होती हैं। इस दौरान मौसम बहुत गर्म हो जाता है, और इसीलिए बच्चों को छुट्टियां दी जाती हैं।”

तो क्या बच्चों को पूरी छुट्टियां आराम और मौज-मस्ती में खर्च देनी चाहिए? खंडेलवाल ने कहा, “बिल्कुल! छुट्टियों में आराम, मौज-मस्ती सबकुछ होना चाहिए। हमें बच्चों को मशीन नहीं बनाना है। हम अगर रिलेक्स होंगे तभी अच्छे से पढ़ाई भी कर सकेंगे।”

 

ऑफ़बीट

कल है रंगों का त्यौहार, जानिए होली पर क्यों पहना जाता है सफेद कपड़ा

Published

on

By

Loading

फाल्गुन माह के शुरू होते ही होली के त्यौहार को मनाने की प्लानिंग शुरुआत हो जाती है। होली का त्यौहार ही एक ऐसा त्यौहार है जो खुद के साथ – साथ दूसरों के भी जीवन में रंग भरने का मौका देता है। होली का त्यौहार आने में अब कुछ ही दिन बचे हैं इस वर्ष खेलने वाली होली यानि धुलेंडी का त्यौहार 25 मार्च को होगा। तो चलिए जानते हैं होली के दिन किस रंग के कपड़े पहले से मिलेगा मान सम्मान और प्रत्येक क्षेत्र में सफलता।

Festival of Colors | National Geographic Society

अक्सर देखा जाता है कि होली के दिन लोग सफेद कपड़े पहनकर होली खेलने के लिए निकलते हैं। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इस बात पर गौर किया हो कि होली के दिन आखिर क्यों लोग सफेद कपड़े ही पहनते हैं। वैसे होली पर सफेद रंग के कपड़े पहनने के कई कारण होते हैं। तो चलिए आज इसी बात को जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों सफेद रंग को ही होली जैसे रंगों भरे त्योहार के लिए चुना गया है।

Holi Festival - Colors of Spring

मन के साथ तन को उजला करने का त्यौहार है होली

Top 5 gifts of Holi

होलिका दहन जो कि रंग खेलने वाली होली के दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन उबटन इत्यादि लगाकर होलिका में प्रवाहित करने का प्रावधान है। यह इसलिए होता है कि होली में मन से बुरे विचारों को निकालकर और शरीर से मैल रूपी बुरी चीजों को निकाल दिया जाए। इस दिन लोगों के मन के साथ तन भी उजला हो जाता है और यदि इसके साथ दूसरे दिन सफेद वस्त्र धारण करके होली खेली जाए तो उसमें पड़ने वाला रंग सकारात्मक और रंग-बिरंगा ही दिखेगा। इसलिए भी होली के दिन सफेद रंग के कपड़े पहनकर होली खेलना शुभ माना जाता है।

सफेद रंग है भाईचारे और सुख-समृद्धि का प्रतीक

Celebrate Holi with an Indian Family in Jaipur 2022 - Viator

सफेद रंग हमें लड़ाई-झगड़े भूलकर अपनों को फिर से गले लगाना सिखाता है। सफेद रंग को शांति, सुख-समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। यह रंग हमारे दिमाग को शांत रखता है। लोग होली के दिन सफेद रंग पहनकर प्यार, भाईचारे और मानवता को दर्शाते हैं। इस दिन सफेद रंग पहनने से मन शांत रहता है। जिन लोगों को बात-बात में क्रोध आ जाता है उन्हें विशेषकर इस दिन सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए।

अच्छाई की जीत मनाने के लिए सफेद रंग पहनना शुभ

What to Wear at Holi Festival 2022 Idea - Tips | Outfits | Caring Tips

सफेद रंग निष्पक्षता और अच्छाई का प्रतीक होता है। रंग वाली होली खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और होलिका दहन की कहानी हम सभी अच्छी तरह जानते हैं। ऐसे में त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन भी य़दि सफेद कपड़े पहनकर होलिका जलाई जाए तो समाज में आपके स्वभाव को पसंद किया जाता है।

ग्रहों की नकारात्मकता को कम करने से सफेद रंग कारगर

Whites & Vibrants for the Carnival of Colors: "Holi Fashion Edition" – B Anu Designs

होली के आठ दिन पहले से ही होलाष्टक लग जाता है। इस दौरान सभी मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं क्योंकि इस समय वातावरण में ग्रहों में नकारात्मकता बढ़ी हुई होती है। जिसको कम करने के लिए यदि सफेद रंग के वस्त्रों का प्रयोग किया जाए तो ग्रहों का नकारात्मक असर कम करने में मदद मिलती है और बिगड़े काम भी बनते हैं।

सफेद रंग देता है सूर्य की गर्मी से निजात

5 stylish outfit ideas to rock your Holi party | NewsBytes

होली का त्योहार उस समय आता है जब ठंडक जा रही होती है और मौसम में थोड़ी गर्माहट की शुरुआत हो जाती है। सूर्य की धूप तेज होने लगती है। लोग तेज धूप की वजह से पहले ही परेशान होते है । ऐसे में सफेद रंग हमें ठंडक पहुंचाता है। इसे पहनकर आप कड़कती धूप में आसानी से बाहर निकल सकते हैं।

घुल-मिलकर रहना सिखाता है सफेद रंग

HOLI 2022: HOW TO REMOVE HOLI COLOURS NATURALLY - Public Info जन सूचना

सफेद एक ऐसा रंग है जिस पर हर कलर खिलकर आता है। अब रंगों के इस त्योहार में सफेद से बेहतर और क्या हो सकता है। यह रंग हमें भी दूसरों के साथ घुल-मिलकर रहना सिखाता है। युवाओं को भी सफेद रंग काफी पसंद आता है। यह आपको एक क्लासी लुक भी देता है। जिससे लोगों के बीच आपका प्रभाव बढ़ता है। सफेद रंग पहनने से यश और कीर्ति भी बढ़ती है।

Continue Reading

Trending