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लॉ छात्रा ने स्‍वामी का प्राइवेट पार्ट काटा, 8 साल से कर रहा था रेप

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केरल, लॉ छात्रा, रेप, प्राइवेट पार्ट

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तिरुअनंतपुरम। केरल में एक लॉ छात्रा ने उसके साथ पिछले आठ सालों से रेप करने वाले व्यक्ति को ऐसी सजा दी की वह कभी किसी और अन्य महिला को अपनी हवस का शिकार नहीं बना सकेगा। जानकारी के अनुसार 23 वर्षीय छात्रा ने 54 वर्षीय एक स्वामी का तेजधार हथियार से प्राइवेट पार्ट काट दिया।

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छात्रा का आरोप है कि जब वह 12 वीं कक्षा में थी स्‍वामी तब से उसका शारीरिक शोषण कर रहा है। इस स्वामी की पहचान कोलम स्थित पनमाना आश्रम के स्वामी गंगेशानंद के रूप में हुई है। पुलिस को दिए महिला के बयान के अनुसार स्वामी ने छात्रा के साथ उसके ही घर में कई बार रेप किया।

पुलिस ने इस मामले में आरोपी स्वामी के खिलाफ धारा 376 और पोस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस ने छात्रा की मां को भी हिरासत में लिया है। पुलिस का कहना है कि उसकी मां महिला के साथ हुई घटना के बारे में जानती थी, लेकिन फिर भी उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई। महिला ने पुलिस को अपने बयान में बताया कि आरोपी ने उसकी मां का शारीरिक शोषण किया था। छात्रा के पिता लकवा से पीडि़त है और उन्हीं के इलाज के दौरान आश्रम में उनकी मुलाकात आरोपी स्वामी से हुई थी।

वहीं, यह बात भी सामने आई है कि स्वामी ने पुलिस को अपने बयान में कहा है कि उसने खुद ही अपना प्राइवेट पार्ट काटा है। एक पुलिस अधिकारी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार स्वामी को इलाज के लिए थिरुवंतपुरम मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां पर उसका इमरजेंसी में ऑपरेशन किया गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि स्वामी का 90 प्रतिशत प्राइवेट पार्ट कट चुका है जिसे अब फिर से जोड़ा नहीं जा सकता।

छात्रा की ओर से ऐसा किए जाने की सब तारीफ कर रहे हैं। केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने छात्रा की तारीफ करते हुए कहा कि बहादुर लड़की। छात्रा ने अपने दोषी को जो सजा दी वह बहुत ही सही है। इसके बाद केरल महिला आयोग की सदस्य प्रमीला देवी ने कहा कि हमें छात्रा पर गर्व है।

महिला ने साबित कर दिया कि धर्म की आड़ में कोई भी व्यक्ति किसी महिला के साथ ऐसा कृत्य नहीं कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस ने छात्रा की मां को भी हिरासत में लिया है। पुलिस का कहना है कि उसकी मां महिला के साथ हुई घटना के बारे में जानती थी लेकिन फिर भी उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई। महिला ने पुलिस को अपने बयान में बताया कि आरोपी ने उसकी मां का शारीरिक शोषण किया था।

 

 

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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