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तिवारी, धौनी ने पुणे को 162 तक पहुंचाया
मुंबई। अंत के दो ओवरों में मनोज तिवारी (58) और महेंद्र सिंह धौनी (40) द्वारा जोड़े गए 41 रनों की बदौलत पहली बार प्लेऑफ में पहुंची राइजिंग पुणे सुपरजाएंट ने मंगलवार को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 10वें संस्करण के पहले क्वालीफायर में मुंबई इंडियंस के सामने 163 रनों का लक्ष्य रखा है। वानखेड़े स्टेडियम में खेले जा रहे इस मैच में पुणे ने निर्धारित 20 ओवरों में चार विकेट पर 162 रन बनाए हैं।
पुणे का इस स्कोर तक पहुंचना मुमकिन नहीं लग रहा था, लेकिन 19वां ओवर लेकर आए मिशेल मैक्लेघन पर तिवारी ने पहली दो गेंदों पर 10 रन बटोरे और इसके बाद धौनी ने दो शानदार छक्कों के साथ उन्हें विदा किया। इस ओवर में दो वाइड और एक नो बाल सहित कुल 26 रन आए।
धौनी ने इसके बाद डेथ ओवरों के विशेषज्ञ जसप्रीत बुमराह को निशाना बनाया और आखिरी ओवर में दो छक्कों सहित 16 रन बटोरे। इस ओवर की आखिरी गेंद पर तिवारी रन आउट हुए। उन्होंने अपनी पारी में 48 गेंदें खेलीं और दो छक्कों के अलावा चारा चौके जड़े।
धौनी ने 18वें ओवर की समाप्ति तक 17 गेंदों में 14 रन बनाए थे लेकिन पारी का अंत उन्होंने 26 गेंदों में 40 रन बनाकर नाबाद रहते हुए किया। उनकी पारी में पांच छक्के शामिल हैं।
बल्लेबाजी का आमंत्रण मिलने पर पहली पारी खेलने उतरी पुणे ने नौ के कुल स्कोर पर ही अपने दो महत्वपूर्ण विकेट खो दिए थे। युवा सलामी बल्लेबाज राहुल त्रिपाठी बिना खाता खोले पहले ओवर की आखिरी गेंद पर बोल्ड हो गए। उन्हें मिशेल मैक्लेघन ने छह के कुल स्कोर पर आउट किया।
तीन रन बाद कप्तान स्टीवन स्मिथ (1) को लसिथ मलिंगा ने चलता किया। यहां से अंजिक्य रहाणे (56) और तिवारी ने टीम को संभाला। हालांकि यह दोनों बल्लेबाज मुंबई के गेंदबाजों की सटीक लाइन लेंग्थ के सामने बड़े शॉट नहीं लगा पाए। इस जोड़ी ने तीसरे विकेट के लिए 10.5 ओवरों में 7.38 की औसत से 80 रन जोड़े।
रहाणे की पारी का अंत कर्ण शर्मा ने 89 के कुल स्कोर पर किया। उन्होंने 43 गेंदों में पांच चौके और एक छक्के की मदद से अर्धशतकीय पारी खेली।
इसके बाद तिवारी ने धौनी के साथ चौथे विकेट के लिए 73 रनों की साझेदारी कर पुणे को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया।
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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