Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

नसीमुद्दीन ने मायावती पर फोड़ा आरोपों का ‘महाबम’, बोले–50 करोड़ मांगते हुए प्रॉपर्टी बेचने को कहा   

Published

on

बसपा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मायावती, बहुजन समाज पार्टी

Loading

लखनऊ।  यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से निकाले गए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि मुझे झूठे आरोप लगाकर पार्टी से निकाला गया। मायावती ने मुझे काफी बुरा भला कहा। मैंने मायावती को लोकसभा चुनावों में बसपा की हार के कारणों के बारे में बताया था जिस पर वह नाराज हो गई थीं। यही नहीं मायावती ने मुझसे यह कहते हुए पैसे मांगे थे कि पार्टी को 50 करोड़ रुपये की जरूरत है।

बसपा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मायावती, बहुजन समाज पार्टी

मैंने कहा कि मैं कहां से लाऊं तो बोलीं अपनी प्रॉपर्टी बेच दो। मैंने कहा कि अगर मैं अपनी प्रॉपर्टी बेच भी दूंगा तो 50 करोड़ का चौथाई भी हो जाए तो बड़ी बात है। मैंने ये भी कहा कि नोटबंदी के बाद अगर प्रॉपर्टी बेचूंगा तो भी कैश नहीं मिलेगा, लेकिन पार्टी हित के लिए मैं ये करने को भी तैयार हूं।

यह भी पढ़ें– मायावती ने मुसलमानों को गद्दार कहा : नसीमुद्दीन

नसीमुद्दीन ने दावा किया कि मैंने रिश्तेदारों, पार्टी के कुछ लोगों से मदद मांगी और कहा कि मेरी प्रॉपर्टी बेचवा दो। कुछ पैसा जुटा कर फोन किया तो कहा कि पूरे पैसे चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘मायावती का फोन आता रहा पैसा मांगती रहीं। कहा कि पूरे प्रदेश से मेंब‍रशिप की किताब अपने पैसे से लाओ। प्रत्यशियों से बचे पैसे लाओ। तभी मुझे अंदाजा हो गया था कि मुझे पार्टी से निकाला जाएगा।’ उन्होंने अपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा कि जिस पार्टी के लिए मैंने अपनी बेटी कुर्बान कर दी वह कैसे छोड़ कर चला जाता।
बसपा के पूर्व नेता ने कहा, ‘मायावती मुसलमानों को उल्टा-सीधा बोलने लगीं और कहा कि मुसलमान गद्दार हैं। मायावती ने कहा कि दाढ़ी वाले कुत्ते मेरे पास आया करते थे।’ सिद्दीकी ने आगे कहा, ‘जब मैंने विरोध जताया तो उन्होंने आवाज नीची कर ली और कहा कि पिछड़ी और अगड़ी जाति के लोगों ने भी हमें वोट नहीं दिया। जब मैंने कहा कि किसी ने हमें वोट नहीं दिया तो इस पर हम क्या कर सकते हैं। इसके बाद वह पिछड़ी जाति के लोगों को भी भला-बुरा कहने लगीं।’

सिद्दीकी ने मायावती पर बसपा संस्थापक कांशीराम को भी अपमानित करने का आरोप लगाया। सिद्दीकी ने कहा, ‘मायावती ने 19 अप्रैल के अपने भाषण में कहा कि जब 2002 में यूपी और पंजाब में विधानसभा चुनाव साथ हुए तो कांशीराम यूपी का सारा पैसा पंजाब लेकर चले गए और मुझसे कहा कि मैं पंजाब में सरकार बनाकर लौटूंगा। यूपी तुम्हारी जिम्मेदारी है। यूपी में हम 100 का आंकड़ा पार कर गए और कांशीराम पंजाब में खाता भी नहीं खोल पाए।’

सिद्दीकी ने बयान में कहा है, ‘मैं समझता हूं कि इस निष्कासन से मेरे व मेरे परिवार की और मेरे सहयोगियों की बहुजन समाज पार्टी में 34-35 साल की कुबार्नी का सिला मुझे दिया गया है।

नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया, ‘मायावती, उनके भाई आनंद कुमार और सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा अवैध रूप से, अनैतिक रूप से और मानवता से परे कई बार ऐसी मांगें की गईं, जो मेरे बस में नहीं थीं। कई बार मुझे मानसिक प्रताड़ना दी गई, टार्चर किया गया। जिसके पुख्ता प्रमाण मेरे पास हैं।’

नसीमुद्दीन ने कहा, ‘2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव और 2012 व 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मायावती की गलत नीतियों के कारण सफलता नहीं मिली। उन्होंने मुसलमानों पर गलत झूठे आरोप लगाए।’

उन्होंने कहा, ‘2017 के चुनाव से काफी पहले से मैंने पार्टी के लिए जो प्रयास किए, उसी का नतीजा था कि बसपा को 22 प्रतिशत से अधिक वोट मिले। नहीं तो स्थिति और बदतर होती। बता दें कि अपने आरोपों को पुख्‍ता करने के लिए नसीमुद्दीन ने पत्रकारों को आडियो टेप भी सुनाए थे। इनमें उनकी और मायावती की बातचीत को सुनाया गया था। पूर्व मंत्री का दावा है कि उनके पास करीब 150 आडियो
टेप हैं।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

Published

on

Loading

सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

Continue Reading

Trending