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मुख्य समाचार

दिल्ली से बदला लेने उतरेंगे गुजरात लायंस

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कानपुर। पिछले मैच में दिल्ली डेयरडेविल्स के हाथों मात खाने वाले गुजरात लायंस आज एक बार फिर उसके सामने उतरेगी तो उसकी कोशिश पिछली हार का बदला लेने की होगी। दोनों टीमें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 10वें संस्करण में यहां के ग्रीन पार्क स्टेडियम में आमने-सामने होंगी।

हालांकि दोनों टीमें प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो चुकी हैं। ऐसे में दोनों टीमें इस मैच में सम्मान की लड़ाई लड़ती नजर आएंगी। इस संस्करण में दिल्ली के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी रही। अपने घर में सनराइजर्स और गुजरात लायंस के खिलाफ शानदार जीत दर्ज करने के बाद दिल्ली ने प्लेऑफ में जाने की उम्मीदें जगाई थीं।

लेकिन, इसके बाद मुंबई के खिलाफ बुरे प्रदर्शन के चलते मिली हार से उसकी प्लेऑफ की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा। दोनों टीमों के बीच हुए पिछले मैच में दिल्ली के युवा बल्लेबाजों ऋषभ पंत और संजू सैमसन ने बेहतरीन तूफानी पारियां खेली थीं।

बल्लेबाजी में दिल्ली पंत पर काफी हद तक निर्भर करेगी। दिल्ली की बल्लेबाजी पूरे सत्र में एक-दो मौकों को छोड़ कर खराब ही रही है, लेकिन पंत ने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया है।

दिल्ली की गेंदबाजी कागज पर मजूबत दिखती है लेकिन मैदान पर गेंदबाज एकजुट प्रदर्शन करने में असफल रहे हैं। वहीं, गुजरात का प्रदर्शन दिल्ली से थोड़ा ही बेहतर रहा है। वह अंकतालिका में छठे स्थान पर है। ब्रेंडन मैक्लम के जाने से उसकी बल्लेबाजी पर असर पड़ा है। मैक्लम और कप्तान सुरेश रैना के अलावा गुजरात का कोई और बल्लेबाज निरंतर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका है।

किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ हुए पिछले मैच में जरूर ड्वायन स्मिथ और ईशान किशन ने टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। गुजरात की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी गेंदबाजी है जो पूरे सत्र में असफल रही है।

टीमें :

दिल्ली डेयरडेविल्स : जहीर खान, मोहम्मद शमी, शहबाज नदीम, जयंत यादव, अमित मिश्रा, श्रेयस अय्यर, संजू सैमसन, करुण नायर, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), सी.वी. मिलिंद, खलील अहमद, प्रत्यूष सिंह, मुरुगन अश्विन, आदित्य तारे, शशांक सिंह, अंकित बावने, नवदीप सेनी, कोरी एंडरसन, एंजेलो मैथ्यूज, पैट कमिंस, कगीसो रबाडा, क्रिस मोरिस, कार्लोस ब्रैथवेट, मार्लोन सैमुअल्स।

गुजरात लायंस : सुरेश रैना (कप्तान), दिनेश कार्तिक, जेसन रॉय, ड्वायन स्मिथ, आकाशदीप नाथ, शुभम अग्रवाल, बासिल थंपी, चिराग सूरी, जेम्स फॉल्कनर, एरॉन फिंच, मनप्रीत गोनी, ईशान किशन, रवींद्र जडेजा, शादाब जकाती, धवल कुलकर्णी, प्रवीण कुमार, मुनाफ पटेल, प्रथम सिंह, प्रदीप सांगवान, जयदेव शाह, जेसन रॉय, शैली शौर्य, तेजस बारोका और इरफान पठान।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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