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आध्यात्म

जेकेपी ने किया छात्रों को स्कूलोपयोगी सामग्रियों का वितरण

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जगद्गुरू कृपालु परिषत्, निःशुल्क स्कूल बैग स्टेशनरी व अन्य सामग्री का वितरण, बीस स्कूलों के लगभग आठ सौ छात्रों

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आठ सौ छात्रों को बांटा गया स्‍कूल बैग व अन्‍य सामग्री

मसूरी। जगद्गुरू कृपालु परिषत् द्वारा एक शिविर का आयोजन किया गया जिसमें छात्रों  को निःशुल्‍क स्‍कूल बैग, स्‍टेशनरी व अन्‍य सामग्री का वितरण किया गया।

जगद्गुरू कृपालु परिषत्, निःशुल्क स्कूल बैग स्टेशनरी व अन्य सामग्री का वितरण, बीस स्कूलों के लगभग आठ सौ छात्रों

jkp

इस शिविर में बीस स्‍कूलों के लगभग आठ सौ छात्रों को यह सामग्री बांटी गई जिसमें एक अदद स्‍कूल बैग, सात नोटबुक, चार पेन, चार पेंसिल, रबर, कटर, पटरी, वॉटर बॉटल, टिफिन बाक्‍स, छाता व एक डिब्‍बा मिठाई दी गई।

गरीब व झुग्‍गी बस्तियों में रहने वाले सरकारी व सरकारी अनुदान प्राप्‍त स्‍कूलों के यह बच्‍चों के चेहरे इन उपयोगी वस्‍तुओं को पाकर खिल उठे।

इसके अलावा इन्‍हीं स्‍कूलों के लगभग पचास अध्‍यापकों को भी एक दीवाल घड़ी, कंबल देकर सम्‍मानित किया गया जबकि स्‍कूल में भोजन बनाने वाले कर्मियों को एक-एक कंबल व साड़ी प्रदान की गई।

इस अवसर पर जगद्गुरू कृपालु परिषत् के ट्रस्‍टी राम पुरी ने कहा कि कृपालु जी महाराज द्वारा गरीबों व जरूरतमंदों के लिए चलाए गए सभी कार्यक्रम परिषत् की अध्‍यक्षा व श्रीमहाराज जी की सुपुत्री डा.विशाखा त्रिपाठी जी के कुशल नेतृत्‍व में अनवरत जारी हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि परिषत् हमेशा से ही जरूरत मंदों की मदद करने में तत्‍पर रहा है और इसे हमें आत्‍मसंतोष भी मिलता है।

कार्यक्रम में उत्‍तराखण्‍ड के बेसिक शिक्षा और खेल मंत्री अरविंद पाण्‍डेय ने कहा कि जगद्गुरू कृपालु परिषत् छात्रों को उनकी जरूरत की वस्‍तुए वितरित करना निश्चित रूप से एक सराहनीय कदम है। उन्‍होंने छात्रों से मन लगाकर पढाई करने को कहा।

इस अवसर पर स्‍थानीय विधायक गणेश जोशी ने जेकेपी द्वारा की जा रही समाजसेवा की मुक्‍तकंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि बच्‍चों को मिली उपयोगी वस्‍तुओं से उनको जो खुशी मिली है वह उनके पढाई के जज्‍बे को बढाएगी। कार्यक्रम में जेकेपी की अध्‍यक्षा डा.विशाखा त्रिपाठी, डा.श्‍यामा त्रिपाठी, डा.कृष्‍णा त्रिपाठी सहित अनेक गणमान्‍य लोग मौजूद रहे।

 

 

 

 

आध्यात्म

आज होगी मां दुर्गा के अष्टम रूवरूप महागौरी की पूजा-अर्चना, इन बातों का रखें ख्याल, मिलेगी विशेष कृपा

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नवरात्र पर्व के आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं। इनकी उम्र आठ साल की मानी गई है। इनकी चार भुजाएं है और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है। सफेद वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें स्वेतांबरा भी कहा गया है।

मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं। पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद उन्हें पति के रूप में पाया था। कथा है कि एक बार देवी पार्वती भगवान शिव से रूष्ट हो गईं। इसके बाद वह तपस्या पर बैठ गईं। जब भगवान शिव उन्हें खोजते हुए पहुंचे तो वह चकित रह गए। पार्वती का रंग, वस्त्र और आभूषण देखकर उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं। महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं। मां गौरी की आराधना सर्व मंगल मंग्लये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते..। इसी मंत्र से की जाती है। कहा जाता है कि एक बार भूखा शेर उन्हें निवाला बनाने के लिए व्याकुल हो गया पर उनके तेज के कारण वह असहाय हो गया। इसके बाद देवी पार्वती ने उसे अपनी सवारी बना लिया था। मां के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना करने से धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अष्टमी के दिन करें कन्या पूजन

नवरात्र पर्व पर दुर्गाष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। जिसे कंचक भी कहा जाता है। इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी। कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और मां अपने भक्त पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं।

महागौरी की पूजा का महत्व

आदि शक्ति देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा करने से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। महागौरी की आराधना से दांपत्य जीवन, व्यापार, धन और सुख समृद्धि बढ़ती है। जो भी देवी भक्त महागौरी की सच्चे मन से आराधना व पूजन अर्चन करता है उसकी सभी मुरादें पूरी करती हैं। पूजा के दौरान देवी को अर्पित किया गया नारियल ब्राम्हण को देना चाहिए।

कन्या पूजन विधि

नवरात्रि की अष्टमी के दिन कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण दें।

इसके बाद कन्याओं का पूरे परिवार के साथ चावल और फूल के साथ स्वागत करें।

नवदुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं। फिर कन्याओं को आरामदायक और साफ जगह पर बैठा दें।

सभी कन्याओं के पैर धोकर अच्छे से साफ करें। फिर सभी का कुमकुम का टिका लगाएं।

इन सभी कन्याओं को मां भगवती का स्वरुप समझकर उन्हें भोजन कराएं।

अंत में उन्हें दक्षिणा और कुछ उपहार देकर ही घर से विदा करें।

कन्या पूजन में इन बातों का रखें खास ख्याल

ध्यान रखें की कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ 1 बालक को जरूर बैठाएं। बालक को भैरव का रूप माना जाता है।

कन्याओं के तुरंत बाद लाकर उनके हाथ पैर जरुर धुलवाए और उनका आशीर्वाद लें।

कुमकुम का तिलक लगाने के बाद सभी कन्याओं को कलावा भी जरुर बांधे।

 

 

 

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