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बासित तलब, साझा किए गए बर्बरता के सबूत

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नई दिल्ली। भारत ने बुधवार को कहा कि उसने पाकिस्तान सेना द्वारा दो शहीद भारतीय जवानों के शवों के साथ बर्बरता की घटना के ‘कार्रवाई योग्य साक्ष्य’ इस्लामाबाद को सौंपे हैं। घटनास्थल से इक_ा किए गए शहीदों के खून के नमूनों और खून के निशान से स्पष्ट होता है कि अपराध को अंजाम देने के बाद पाकिस्तानी सैनिक नियंत्रण रेखा से वापस पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की तरफ लौट गए।

विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को कार्रवाई योग्य साक्ष्य सौंप दिया गया है। जयशंकर ने बासित को तलब कर भारतीय जवानों के साथ हुए इस बर्बर कृत्य के प्रति आक्रोश जताते हुए कहा कि एक मई को जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास हुई इस घटना में पाकिस्तानी सेना शामिल है।

भारत ने सबूत देने के साथ पाकिस्तान से इस घटना के संबंध में ठोस कार्रवाई करने की मांग की है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने विदेश सचिव तथा बासित की बैठक के बारे में संवाददाताओं से कहा, “घटनास्थल राजा नाला से इक_ा किए गए खून के नमूनों तथा खून के निशान से साफ पता चलता है कि हमलावर कृत्य को अंजाम देकर नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर लौट गए थे, जहां से वे आए थे।”

प्रवक्ता ने कहा, “खून के निशान साफ दिख रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि नियंत्रण रेखा पार कर आने वाले लोग वापस पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर लौटे।”

बागले ने कहा, “यह बात महत्वपूर्ण है कि बट्टल गांव के निकट बट्टल सेक्टर में पाकिस्तानी चौकियों से गोलीबारी की आड़ में हमले को अंजाम दिया गया। भारत के पास इस बात के पुख्ता साक्ष्य हैं कि इस कृत्य को पाकिस्तानी सेना द्वारा अंजाम दिया गया, जिसने कृष्णा घाटी सेक्टर में नियंत्रण रेखा को पार किया।”

उन्होंने कहा कि भारत ने मांग की है कि पाकिस्तान इस जघन्य कृत्य के जिम्मेदार अपने सैनिकों व कमांडरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे।

जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ जिले के कृष्णा घाटी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर सोमवार को पाकिस्तानी सैनिकों के हमले में सेना के नायब सूबेदार परमजीत सिंह तथा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के हेड कांस्टेबल प्रेम सागर शहीद हो गए थे, जिसके बाद उनके शवों के साथ बर्बरता की गई थी। भारत ने कहा है कि नियंत्रण रेखा के नजदीक घटी इस घटना के पीछे पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) का हाथ है।

बार-बार यह पूछे जाने पर कि खून के नमूने तथा खून के निशान पाकिस्तानी सैनिकों के मिले हैं या नहीं और सरकार कैसे आश्वस्त है कि खून के ये निशान भारतीय सैनिकों के ही हैं, प्रवक्ता ने घटना में पाकिस्तानी सैनिकों के शामिल होने तथा उनके पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लौटने की बात दोहराई।

बागले ने कहा, “इसपर कोई संदेह प्रकट नहीं कर रहा। पहली तो घटना और दूसरा, पाकिस्तानी उच्चायोग से हमने कहा है कि हमारे पास पुख्ता साक्ष्य हैं। यह बात स्पष्ट है कि वे जहां से आए थे, वहीं वापस लौट गए।”

बर्बर कृत्य में पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता को लेकर ‘कार्रवाई लायक साक्ष्य’ प्रदान करने के बारे में जयशंकर ने कहा कि हमले को बट्टल सेक्टर में बट्टल चौकी से पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी की आड़ में अंजाम दिया गया।

गोपाल बागले ने कहा कि पाकिस्तान उच्चायुक्त ने इस घटना में पाकिस्तानी सेना के शामिल होने से इनकार किया, लेकिन आश्वासन दिया कि वह भारत के आक्रोश से अपनी सरकार को अवगत कराएंगे।

प्रवक्ता ने कहा, “पाकिस्तानी उच्चायुक्त को इस बात से अवगत करा दिया गया है कि सरकार इस कृत्य को उकसावे की कार्रवाई के तौर पर देखती है और यह सभ्य आचरण के सभी मानदंडों का उल्लंघन है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या जवानों के शवों से बर्बरता के मद्देनजर, पाकिस्तान को दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्जे पर भारत पुन: विचार करेगा, बागले ने कहा कि यह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की प्रतिबद्धताओं के तहत दिया गया है।

इसी प्रकार, यह पूछे जाने पर कि क्या भारत सिंधु नदी जल समझौते पर पुन: विचार करेगा या नहीं, उन्होंने कहा कि सन् 1960 में जिस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था, उसे स्थाई सिंधु आयोग संभालता है।

वहीं, प्रवक्ता ने कश्मीर मुद्दे के समाधान में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज किया। उन्होंने कहा कि भारत की उस नीति में कोई बदलाव नहीं आया है, जिसके तहत मुद्दे का समाधान भारत तथा पाकिस्तान द्वारा द्विपक्षीय तौर पर किया जाएगा।

बागले कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन द्वारा सुझाए गए बहुपक्षीय वार्ता के संबंध में एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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