प्रादेशिक
बिजली और रेल की चपेट में आकर मरे तीन हाथी
देहरादून । अप्रैल महीना हाथियों के लिए अच्छा नहीं रहा जहां पानी की तलाश में दो वनराज रानीखेत एक्सप्रेस के चपेट में आकर दम तोड़ गए। वहीं बिजली खंभे की चपेट में आकर एक गजराज नहीं रहे। दोनों घटनाओं से वन महकमें में हड़कंप है।
वन विभाग का कहना है कि गर्मियों में हाथी पानी की तलाश में इधर-भटकते हैं जिसके कारण उन्हें यह असुविधा हो रही है। वन विभाग का मानना है कि इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है। ताजातरीन घटना ने दिल्ली से काठगोदाम आ रही रानीखेत एक्सप्रेस की चपेट में आने से मादा हाथी के दो वर्षीय दो बच्चों की मौत हो गई है। वन विभाग की माने तो गर्मियों में पानी की तलाश में यह हाथी रेल पटरी पार कर रहे थे इसी बीच ट्रेन आ गई और यह हादसा हो गया।
घटना प्रात:काल 4 बजे की बताई जा रही है जिसके कारण वन महकमें में भारी रोष है। देहरादून से हरिद्वार के बीच राजाजी पार्क में भी वर्षों पूर्व कई हाथियों की मौत हुई थी, लेकिन इस बार गढ़वाल नहीं यह मौते कुमाऊं में हुई हैं।
नैनीताल के रामनगर वन प्रभाग कोसी रेंज में खंभे की चपेट में आकर एक हाथी ने दम तोड़ दिया। मोहान गांव के समीप यह घटना घटी जहां 11 केवीए की विद्युत लाइन समीप से गुजर रहे हाथी को करंट लग गया।
डीएफओ नेहा वर्मा का मानना है कि हाथी के खंभा हिलाने से इन्सुलेटर फट गया। वरना और बड़ी घटना हो सकती थी। ठीक यही स्थिति इन हाथियों के बारे में भी है जो पेयजल की तलाश में मारे गए।
यह घटना हल्दी रोड स्टेशन से एक किमी की दूरी पर हल्दी बाजार के पीछे जंगल में घटी। वन विभाग के रेंजर गणेश त्रिपाठी का मानना है कि इन दोनों बच्चों की उम्र दो साल रही होगी। इस क्षेत्र में हाथी और हथिनी अपने पांच बच्चों के साथ विचरण करते दिख रहे थे। माना जा रहा है कि पानी की तलाश के दौरान भटकते हुए यह हादसा हुआ।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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