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प्रख्यात शास्त्रीय गायिका किशोरी अमोनकर का मुंबई में निधन

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मुंबई| हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की प्रख्यात गायिका और सुपरहिट फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ में अपनी आवाज देने वाली किशोरी अमोनकर सोमवार देर रात दुनिया से रुखसत हो गईं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर सहित शास्त्रीय संगीत व मनोरंजन जगत की हस्तियों और बड़ी संख्या में उनके प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

मुंबई में जन्मीं किशोरी अमोनकर ने अपने 85वें जन्मदिन के महज एक हफ्ते पहले दादर पश्चिम (मुंबई) स्थित घर में अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर दर्शन के लिए दादर के एक ऑडिटोरियम में रखा जाएगा, जहां हजारों संगीत-प्रेमी उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। किशोरी लगभग सात दशक तक गायन क्षेत्र में सक्रिय रहीं। उन्हें ‘गान-सरस्वती’ का दर्जा दिया गया।

जयपुर घराने से ताल्लुक रखने वाली किशोरी अमोनकर को पद्म विभूषण सहित कई सम्मानों से नवाजा गया। किशोरी अमोनकर के घर में उनके दो बेटे व पोते-पोतियां हैं। उनके पति का पहले ही निधन हो चुका है। अमोनकर के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “उनका जाना भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है। वह अपने काम के जरिये आने वाले वर्षो में भी लोगों के बीच लोकप्रिय बनी रहेंगी।” भारतरत्न लता मंगेशकर ने किशोरी अमोनकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “वह बेहतरीन शास्त्रीय गायिका थीं। उनके निधन से संगीत क्षेत्र को भारी क्षति हुई है।”

शबाना आजमी, श्रेया घोषाल, हेमा मालिनी, मधुर भंडारकर और कैलाश खेर जैसी बॉलीवुड हस्तियों ने भी किशोरी के निधन पर दुख जताया।मुंबई में 10 अप्रैल 1932 को माधवदास भाटिया और मोगुबाई कुर्डिकर के घर जन्मीं किशोरी अमोनकर को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की पहली शिक्षा अपनी मां (प्रतिष्ठित गायिका) से ही मिली, जो पद्मभूषण और संगीत नाटक अकादमी जैसे सम्मान से नवाजी जा चुकी हैं।

किशोरी छह साल की उम्र में ही अपने पिता के साये से महरूम हो गईं। उनकी मां उन्हें अपने साथ संगीत कार्यक्रमों में ले जाती थीं। उन्होंने जयपुर घराने की संगीत की बारीकियां सीखीं और इसे अपने गायन शैली में भी शामिल किया। बाद में उन्होंने भेंडी बाजार घराने (मुंबई) की अंजनीबाई मालपेकर और विभिन्न घरानों के संगीत शिक्षकों से प्रशिक्षण लिया।

छोटी बहन ललिता और भाई उल्हास सहित तीन भाई-बहन में सबसे बड़ी किशोरी ने जयपुर राजघराने की अनूठी शैली में गायन करते हुए भारतीय शास्त्रीय संगीत में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और यहां तक कि कई प्रयोग भी किए। उन्होंने ठुमरी, भजन, खयाल आदि संगीत की विभिन्न विधाओं में गायन किया। किशोरी ने 1950 के दशक के अंत में किन्हीं कारणों से अपनी आवाज खो दी, लेकिन दो साल बाद उनकी आवाज वापस आ गई और उन्होंने पूरे उत्साह के साथ गायन क्षेत्र में वापसी की।

उन्होंने स्कूल शिक्षक रवींद्र अमोनकर से शादी रचाई और दो बेटों की मां बनीं, लेकिन 1980 के दशक की शुरुआत में उनेक पति का निधन हो गया। एक समय फिल्म संगीत की तरफ आकर्षित होकर उन्होंने वी. शांताराम की सुपरहिट फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ (1964) में एकल गायन भी किया। शांताराम ने इस फिल्म से अपनी बेटी राजश्री और नवोदित अभिनेता जितेंद्र को लांच किया।

गायिका ने 25 साल के विराम के बाद राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता वंसत देव द्वारा गोविंद निहलाणी की फिल्म ‘दृष्टि’ से वापसी की। यह सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजी गई। अमोनकर ने बतौर संगीत निर्देशक काम करेत हुए चार गाने गाए। किशोरी अमोनकर 1985 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1987 में पद्मभूषण और 2002 में पद्म विभूषण से नवाजी गईं। साल 1991 में उन्हें डॉक्टर टीएमए पई फाउंडेशन द्वारा संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। साल 2009 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप ने सम्मानित किया गया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने प्रख्यात गायिका के प्रति शोक प्रकट किया है।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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