प्रादेशिक
संविधान और देश बचाने के लिए लगातार लड़ना पड़ेगा : लालू
पटना| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद ने सोमवार को एकबार फिर भारतीय जनता पार्टी के विरोधी दलों को एक साथ एक मंच पर आने का आह्वान किया। लालू ने सोमवार की शाम ट्वीट कर लिखा, “हाशिये के सभी समूहों को एकजुट होकर लड़ना पड़ेगा। अपने अहं को त्यागकर संविधान और देश बचाने के लिए निरंतर लड़ना पड़ेगा।”
खास बात यह कि लालू प्रसाद ने इस ट्वीट को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एनसीपी के नेता शरद पवार और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को टैग भी किया है।
सोशल साइटों पर आजकल व्यस्त रहने वाले लालू ने फेसबुक वॉल पर भी इशारों ही इशारों पर भाजपा के नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्हें आरक्षण का विरोधी बताया।
उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा, “जिस तरह लाल कपड़ा देखकर सांड भड़कता है, ठीक उसी तरह मेरा नाम सुनकर कट्टरपंथी भड़कते हैं, वे आरक्षण के घोर विरोधी व कट्टर जातिवादी हैं।”
लालू ने बिहार में राजद के शासनकाल को ‘जंगलराज’ कहने का खुलासा करते हुए आगे लिखा, “मैं कट्टरपंथियों से कभी समझौता नहीं करता, मेरे शासनकाल को इसीलिए ‘जंगलराज’ कहा जाता है। मैंने पिछड़े, दलित, शोषित व वंचितों को जगाया है।”
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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