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लोकसभा में जीएसटी विधेयकों पर चर्चा

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नई दिल्ली | केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को लोकसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित चार विधेयक पेश किए, उसके बाद विधेयकों पर चर्चा शुरू हुई। जेटली ने विधेयकों को पेश करते हुए कहा, “इन चारों विधेयकों को एक साथ पेश किया जा रहा है, क्योंकि विधेयकों की विषयवस्तु एक जैसी ही है।”

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उन्होंने कहा, “अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के तहत संविधान संशोधन से पहले केंद्र के पास कुछ करों को लागू करने का अधिकार था। एकीकृत कर प्रणाली पर लंबे समय से चर्चा होती रही है, जिसके तहत राज्य और केंद्र सरकार संग्रहित कर को साझा करेंगे।”

उन्होंने कहा, “जीएसटी परिषद पहला संघीय संस्थान है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह संघीय संस्था काम करे। इसमें केंद्र और राज्यों का संतुलित मेलजोल है, जबकि हम परिषद को सुझाव देने के लिए मुक्त है। एक ही समय पर हमें संघीय ढांचे को सम्मान देने की भी जरूरत है।”

जीएसटी को एक जुलाई से देशभर में लागू किया जाना है। इसके पंजीकरण, भुगतान, रिटर्न्‍स और इनवॉयस रिफंड से संबंधित नियमों को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। इसके बाकी नियमों पर 31 मार्च को जीएसटी परिषद में चर्चा होगी।

गौरतलब है कि बुधवार को संसद के निचले सदन में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) सहित तीन अन्य जीएसटी विधेयकों को चर्चा के लिए पेश किया गया। जेटली ने कहा कि अगले महीने से कमोडिटीज की कर दरें तय की जाएंगी। आवश्यक खाद्य सामानों पर शून्य फीसदी कर दर तय होगी। इसके अलावा करों की चार दरें हैं, जिसमें पांच फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी दरें हैं।

वित्तमंत्री जेटली ने कहा कि विलासिता की वस्तुओं और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले उत्पादों पर लगभग एक जैसे प्रभावकारी कराधान तय किए जाएंगे।

यदि आपके लग्जरी वाहन पर 40 फीसदी कराधान और सिगरेट पर 65 फीसदी कराधान लगता है तो उन्हें 28 फीसदी की कर दरों में रखा जाएगा और राज्यों का राजस्व घटने की भरपाई के हर्जाने के तौर पर उपकर (सेस) लगाया जाएगा। केंद्रीय जीएसटी विधेयक 2017 कर वसूली, केंद्र सरकार द्वारा राज्य के भीतर सामानों, सेवाओं या दोनों पर कर संग्रह की व्यवस्था करेगा।

जेटली ने इसके अलावा समेकित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 को भी सदन में पेश किया, जिससे राज्य के भीतर आपूर्ति पर कर संग्रह का प्रावधान होगा। जेटली ने वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक भी पेश किया, जिसके तहत जीएसटी लागू होने पर राज्यों के राजस्व घाटे पर मुआवजा दिया जाएगा।

इसके साथ ही केंद्रीय प्रशासित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 भी पेश किया गया, जिसमें केंद्र प्रशासित क्षेत्र में सामानों, सेवाओं या दोनों की आपूर्ति पर कर संग्रह का प्रावधान है।

 

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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