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भारत को जीत के लिए चाहिए-106 रन

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भारत-आस्ट्रे लिया टेस्टि सीरीज, भारत के सामने 106 रनों का लक्ष्यम, आश्विन उमेश यादव और रविंद्र जडेजा की तिकड़ी, कंगारू टीम 137 रन पर सिमटी

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धर्मशाला | भारत के खिलाफ हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) स्टेडियम में चल रहे चौथे टेस्ट के तीसरे दिन सोमवार को आस्ट्रेलिया की दूसरी पारी पूरी तरह लड़खड़ा गई। आश्विन, उमेश यादव और रविंद्र जडेजा की तिकड़ी ने कंगारू टीम को 137 रन पर समेट दिया।

भारत-आस्ट्रे लिया टेस्टि सीरीज, भारत के सामने 106 रनों का लक्ष्यम, आश्विन उमेश यादव और रविंद्र जडेजा की तिकड़ी, कंगारू टीम 137 रन पर सिमटी

भारत को इस निर्णायक मैच में जीत के लिए मात्र 106 रन बनाने हैं और मैच में अभी पूरे दो दिन बाकी हैं। यदि भारत यह मैच जीतता है तो वह टेस्‍ट सीरीज भी 2-1 से जीत जाएगा।

चायकाल तक 92 रनों पर पांच विकेट गंवा चुकी आस्ट्रेलियाई टीम को संभलने का मौका रविंद्र जडेजा ने नहीं दिया। कमिंस और ओफीक को आउट कर जडेजा ने आस्‍ट्रेलिया को पूरी तरह से संकट में डाल दिया। रही सही कसर उमेश यादव और आश्विन ने क्रमशः नाथन लॉयन और हेजलवुड को आउट कर पूरी कर दी।

भारतीय गेंदबाजों के आगे लड़खड़ाई आस्ट्रेलियाई टीम की दूसरी पारी की शुरुआत खराब रही। आस्ट्रेलियाई टीम ने भोजनकाल तक भारत की पहली पारी 332 रनों पर समाप्त कर दी थी। इसके बाद अपनी दूसरी पारी खेलने उतरी आस्ट्रेलियाई टीम को दिन का पहला झटका डेविड वॉर्नर (6) के रूप में लगा।

डेविड ने मैट रेनशॉ (8) के साथ मिलकर टीम के खाते में 10 ही रन जोड़े थे कि उन्हें उमेश यादव ने विकेट के पीछे खड़े रिद्धिमान साहा के हाथों कैच आउट कर पवेलियन भेजा।

इसके बाद भुवनेश्वर कुमार ने रेनशॉ का साथ देने आए कप्तान स्टीव स्मिथ (17) को 31 के योग पर बोल्ड कर आस्ट्रेलिया को दूसरा बड़ा झटका दिया। इसी स्कोर पर यादव ने एक बार फिर साहा के साथ अपनी अच्छी जुगलबंदी से रेनशॉ को भी आउट कर तीसरा विकेट गिराया।

पीटर हैंड्सकॉम्ब (18) और मैक्सवेल ने चौथे विकेट के लिए 56 रनों की साझेदारी कर टीम को संभालने की कोशिश की, लेकिन रविचंद्रन अश्विन ने हैंड्सकॉम्ब को अजिंक्य रहाणे के हाथों कैच आउट कर इस साझेदारी को तोड़ दिया।

इसके बाद मैक्सवेल का साथ देने आए शॉन मार्श (1) को रवींद्र जडेजा ने आउट किया। शॉन 92 के कुलयोग पर चेतेश्वर पुजारा के हाथों लपके गए। इसके साथ ही चायकाल की घोषणा कर दी गई।

इस पारी में भारत के लिए उमेश ने दो विकेट लिए हैं, वहीं भुवनेश्वर, अश्विन और जडेजा को एक-एक सफलता हासिल हुई। इससे पहले, रवींद्र जडेजा (63) और रिद्धिमान साहा (31) की संयम भरी साझेदारी की बदौलत भारतीय क्रिकेट टीम ने सोमवार को अपनी पहली पारी में सभी विकेट खोकर 332 रन बनाए।

मेजबान टीम की पहली पारी समाप्त होने के साथ ही भोजनकाल की घोषणा कर दी गई। अपने पिछले दिन (रविवार) के स्कोर छह विकेट पर 248 रनों से आगे खेलने उतरी भारतीय टीम ने सोमवार को पहले सत्र की समाप्ति तक अपने खाते में 84 रन जोड़े।

पहले दिन के नाबाद बल्लेबाज साहा और जडेजा ने सातवें विकेट के लिए 96 रनों की साझेदारी कर टीम का स्कोर 300 के पार पहुंचाया, लेकिन पैट कमिंस ने जडेजा को बोल्ड कर इस साझेदारी को तोड़ा।

जडेजा ऐसे तीसरे हरफनमौला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने किसी एक सत्र में 500 से अधिक रन बनाए हैं और 50 से अधिक विकेट लिए हैं। उनसे पहले कपिल देव ने 1979-80 और मिशेल जॉनसन ने 2008-09 सत्र में यह कारनामा किया था।

जडेजा ने 95 गेंदों की पारी में चार चौके और चार छक्के लगाए। उनके आउट होने के बाद साहा का साथ देने आए भुवनेश्वर कुमार भी खाता खोले बिना स्टीव ओकीफ की गेंद पर कप्तान स्टीव स्मिथ के हाथों लपके गए। कमिंस ने इसके बाद साहा को भी पिच पर टिकने नहीं दिया। 115वें ओवर की पहली ही गेंद पर साहा ने शॉट मारने की कोशिश की, लेकिन दूसरी साइड खड़े स्मिथ ने शानदार डाइव मारते हुए साहा का कैच लपका।

साहा के आउट होने के बाद कुलदीप यादव (7) और उमेश यादव (2) ने टीम के खाते में 14 रन जोड़े ही थे कि नाथन लॉयन की गेंद पर कुलदीप 332 के योग पर कमिंस के हाथों लपके गए। कुलदीप के आउट होने के साथ ही भारत की पहली पारी समाप्त हो गई।

आस्ट्रेलिया के लिए लॉयन ने सबसे अधिक पांच विकेट लिए, वहीं कमिंस को तीन, जोश हाजलेवुड को एक और ओकीफ को एक सफलता हासिल हुई। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला का स्कोर 1-1 से बराबरी पर है और यह मैच दोनों टीमों के लिए निर्णायक है।

 

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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