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उप्र में छठे चरण में करीब 60 फीसदी मतदान

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव, मताधिकार का प्रयोग, महराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ

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लखनऊ | उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण के तहत सात जिलों की 49 सीटों पर शनिवार को शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हो गया। इस चरण में करीब 60 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक, शाम पांच बजे मतदान खत्म होने के समय तक करीब 60 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। हालांकि यह आंकड़ा बढ़ सकता है, क्योंकि पांच बजे मतदान केंद्रों पर कतार में लोग वोट डालने के लिए मौजूद थे। कतार में लगे सभी लोगों को वोट डालने दिया जाना था।

अधिकारियों ने बताया कि कुशीनगर में 58.67 फीसदी, आजमगढ़ तथा गोरखपुर में 58 फीसदी और बलिया में 57.27 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। उत्तर प्रदेश में छठे चरण के मतदान के लिए सुबह से ही मतदान केंद्रों के बाहर लंबी कतारें देखी गई। पहले मतदान करने वालों में गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यानाथ भी रहे, जिन्होंने राज्य में भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनने का दावा किया।

छठे चरण की 49 सीटों में से नौ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। छठे चरण में 635 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 1.72 करोड़ मतदाता के हाथों में था। इस चरण में 1,72,46,410 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के योग्य थे, जिनमें 94,60,597 पुरुष, 77,84,831 महिलाएं व 982 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।

इस चरण के मतदान में महराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ व बलिया शामिल हैं। गोरखपुर शहर सीट पर सबसे ज्यादा 23 और आमजगढ़ व गोहना सीट पर सबसे कम सात-सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 49 सीटों में से सपा ने 27, बसपा ने नौ, भाजपा ने सात, कांग्रेस ने चार और अन्य ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी।

छठे चरण में मऊ सीट से जेल में बंद मुख्तार अंसारी, घोसी से उनके बेटे अब्बास अंसारी, पनियारा से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश पांडेय बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर दरियागंज से व पूर्व नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं, जबकि नौतनवा सीट से जेल में बंद अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं।

 

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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