प्रादेशिक
ओवैसी ने अखिलेश से पूछे 12 सवाल
संभल । हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को सपा और भाजपा को एक ही सिक्के के दो पहलू करार दिया है। साथ ही सपा मुखिया व प्रदेश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से 12 सवालों के जवाब मांगा है।
संभल के नगर पालिका मैदान में पार्टी उम्मीदवार जियाउर्रहमान बर्कके समर्थन में चुनावी जनसभा में ओवैसी ने कहा, “हम गरीब, मजलूम पर जुल्म का विरोध कर उसके हक की आवाज बुलंद करते हैं। लेकिन हमारी पार्टी पर फिरकापरस्ती की तोहमत मढ़ दी जाती है। हम फिरकापरस्त नहीं हैं।”
उन्होंने कहा कि भाजपा-सपा एक ही सिक्केके दो पहलू हैं। सपा को घेरे में लेते हुए ओवैसी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से 12 सवाल किए और उनके जवाब मांगे और कहा कि 12 फरवरी को मुख्यमंत्री संभल आ रहे हैं तो उनके सवालों के जवाब देकर जाएं।
ओवैसी ने कहा, “अखिलेश बताएं कि उनके पिता कहां हैं। हर जगह विकास करने और लैपटॉप बांटने का दावा किया जाता है तो यह भी बताएं कि चुनाव में सबको लैपटॉप देने का वादा किया था तो देते वक्त शर्ते लगाकर कुछ को ही क्यों दिया?”
उन्होंने कहा, “पिछले चुनाव से पहले सपा ने मुस्लिमों को 18 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था तो अखिलेश ने सरकार बनने के बाद उसे भुला क्यों दिया। अब इस मसले पर संविधान की अड़चन का बहाना लिया गया। जबकि सरकार आयोग का गठन कर इस काम को आगे बढ़ा सकती थी।”
ओवैसी ने कुछ आंकड़े भी पेश किए और कहा कि सपा ने चार लाख साठ हजार नौकरियां देने का वायदा किया था। सभी जाति धर्म के लोगों को सरकार नौकरियां देती तो बेरोजगारी कम होती। लेकिन सरकार ने वायदा नहीं निभाया।
मुस्लिम बच्चों के वजीफे की रकम में चार सौ करोड़ रुपये और मदरसों की मदद के 80 करोड़ रुपये कम कर दिए। ओवैसी ने कहा कि समाजवादी पार्टी का विकास केवल सैफई में बोलता है। उन्होंने कहा, “इन सवालों के जवाब अखिलेश 12 फरवरी को दे दें, मैं फिर 13 फरवरी को संभल आऊंगा।”
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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