नेशनल
पीछे हटे नरीमन, SC ने दीवान से BCCI संचालक के नाम सुझाने को कहा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में शीर्ष पदों पर नियुक्ति के लिए पदाधिकारियों के नाम सुझाने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन की जगह जाने माने वकील अनिल दीवान को नियुक्त किया। कोर्ट ने सोमवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए क्रिकेट सुधारों पर सुधार देने के लिए गठित लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू न करने को लेकर अडय़िल रुख अपनाए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीअई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को बर्खास्त कर दिया।
शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई के संचालन की अंतरिम व्यवस्था करने के साथ-साथ एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम और नरीमन को बीसीसीआई के शीर्ष पदों के लिए अधिकारियों के नामों का सुझाव देने के लिए कहा था। लेकिन नरीमन ने इसमें रूचि न दिखाते हुए अपना नाम वापस ले लिया और दीवान के नाम की संस्तुति की, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने दीवान की नियुक्ति कर दी।
शीर्ष अदालत ने बोर्ड संचालक के नामों के सुझाव के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। सर्वोच्च अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि क्रिकेट प्रशासक सिर्फ लगातार नौ वर्ष तक पद पर बने रह सकेंगे। इसमें बीसीसीआई के अलावा संबद्ध राज्य संघों में बिताए गए कार्यकाल का समय भी शामिल होगा।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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