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प्रादेशिक

भाजपा के बंद से त्रिपुरा के दहलाई में जनजीवन प्रभावित

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भाजपा के बंद से त्रिपुरा के दहलाई में जनजीवन प्रभावित

अगरतला | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आह्वान पर आयोजित बंद के कारण बुधवार को त्रिपुरा के दहलाई जिले में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। पार्टी ने उसके एक स्थानीय नेता की हत्या के विरोध में बंद का आह्वान किया है। पुलिस ने कहा कि सुबह से शाम तक की हड़ताल के दौरान सरकारी कार्यालयों के सामने और बाजारों में धरना देने पर भाजपा के 200 से ज्यादा कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए हैं।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “अधिकांश दुकानें और बाजार बंद हैं। सरकारी कार्यालयों एवं बैंकों में उपस्थिति कम है। दहलाई जिले के अधिकांश स्कूल और शिक्षण संस्थान बंद हैं।”

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 (पहले के 44) पर वाहनों का आवागमन सामान्य बना हुआ है। यह राजमार्ग त्रिपुरा की जीवन रेखा कहा जाता है।

भाजपा के नेताओं ने आरोप लगाया कि पार्टी के युवा मोर्चा के नेता चान मोहन त्रिपुरा सोमवार की रात दहलाई जिले के गंदचारा में एक मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति विश्वदा त्रिपुरा को देखने उसके घर गए थे।

विश्वदा ने चान मोहन पर एक लकड़ी की वस्तु से हमला किया जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुबाल भौमिक के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने तनावग्रस्त इलाके का दौरा किया और आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे सत्ताधारी माकपा का हाथ है।

माकपा ने एक बयान जारी कर कहा कि एक गैर राजनीतिक घटना को लेकर भाजपा राजनीति कर रही है। पार्टी को पता है कि एक मानसिक रोगी ने यह हत्या की है लेकिन फिर भी वह इसे मुद्दा बना रही है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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