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मुंबई टेस्ट : स्पिनरों ने भारत को जीत के करीब पहुंचाया

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वानखेड़े स्टेडियम, भारतीय क्रिकेट टीम, चौथे टेस्ट मैच, मुंबई टेस्ट, इंग्लैंड बैकफुट पर

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वानखेड़े स्टेडियम, भारतीय क्रिकेट टीम, चौथे टेस्ट मैच, मुंबई टेस्ट, इंग्लैंड बैकफुट पर

मुंबई  | भारत के स्पिन गेंदबाजों रविचंद्रन अश्विन (2-49) और रवींद्र जड़ेजा (2-58) ने वानखेड़े स्टेडियम पर जारी चौथे टेस्ट मैच के चौथे दिन रविवार को स्टम्प्स तक दूसरी पारी में इंग्लैंड के छह बल्लेबाजों को पवेलियन भेज दिया। अब भारत को जीत के लिए अंतिम दिन सिर्फ चार विकेट की जरूरत है। भारतीय गेंदबाजों के आगे कमजोर नजर आई इंग्लैंड की टीम चौथे दिन के खेल की समाप्ति तक केवल 182 रन ही बना पाई। इंग्लिश टीम को पारी की हार बचाने के लिए अभी भी 49 रनों की जरूरत है।

भारत ने अपनी पहली पारी में 631 रन बनाए थे। उसे पहली पारी के आधार पर 231 रनों की बढ़त मिली थी। रविवार को अपनी दूसरी पारी खेलने उतरी इंग्लैंड की टीम को पहला झटका पहले ओवर की दूसरी गेंद पर कीटन केंट जेनिंग्स को भेजकर दिया। जेनिंग्स अपना खाता भी नहीं खोल पाए थे,

जब उन्हें भुवनेश्वर कुमार ने पगबाधा आउट किया।  इसके बाद कप्तान एलिएस्टर कुक (18) के साथ जोए रूट (77) ने दूसरे विकेट के लिए 42 रनों की साझेदारी की लेकिन रवींद्र जड़ेजा ने इस साझेदारी को तोड़कर इंग्लैंड को एक और झटका दिया। कुक का विकेट 43 के कुल योग पर गिरा।  कुक के आउट होने के बाद रूट का साथ देने मोइन अली को जड़ेजा ने क्रीज पर टिकने का मौका ही नहीं दिया और मुरली विजय के हाथों कैच आउट करा पवेलियन भेज दिया।

मोइन खाता भी नहीं खोल सके। रूट ने जॉनी बेयर्सट्रो (नाबाद 50) के साथ मंझी हुई साझेदारी के दम पर इंग्लैंड की बिखरती बल्लेबाजी को संभालते हुए टीम का स्कोर 141 तक पहुंचाया ही था कि इसी स्कोर पर जयंत यादव ने उन्हें पगबाधा आउट कर मेहमान टीम को कमजोर कर दिया और भारतीय टीम को जीत की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाई। जोए और रूट के बीच चौथे विकेट के लिए 92 रनों की साझेदारी हुई।

रूट ने अपनी पारी में खेली गईं 112 गेंदों में 11 चौके लगाए। उनके बाद टीम बेयर्सट्रो का साथ देने आए बेन स्टोक्स (18) को भी अश्विन ने ज्यादार देर पिच पर टिकने नहीं दिया और 180 के कुल योग पर मुरली विजय के हाथों कैच आउट करा इंग्लैंड की टीम का पांचवा विकेट गिराया। इसके बाद आए जैक बॉल भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाए और इंग्लैंड के स्कोर में दो रन जोड़कर अश्विन की गेंद पर पार्थिव पटेल ते हाथों कैच आउट हो पवेलियन लौट गए।

बॉल जब आउट हुए उस वक्त टीम का स्कोर 182 रन था और इसी स्कोर पर चौथे दिन के खेल की समाप्ति की घोषणा कर दी गई।  भारत के लिए अश्विन और जड़ेजा ने दो-दो विकेट लिए जबकि भुवनेश्वर कुमार और जयंत को एक-एक सफलता हासिल हुई। इससे पहले, भारत ने तीसरे दिन शनिवार को सात विकेट के नुकसान पर 451 रन बनाए थे। रविवार को अपनी पारी आगे बढ़ाते हुए भारत ने पहले सत्र में बिना कोई विकेट गंवाए कप्तान विराट कोहली (235) और जयंत यादव (104) की बेहतरीन साझेदारी के दम पर 597 रन बनाए थे।

कोहली ने इस पारी में अपना दोहरा शतक भी पूरा किया। अपना दोहरा शतक पूरा करने के साथ ही कोहली एक साल में तीन बार दोहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी बन गए। दूसरे सत्र में जयंत ने अपना शतक पूरा किया, लेकिन 605 रनों के कुल योग पर आदिल राशिद ने उन्हें आउट कर पवेलियन भेजा। कोहली और जयंत के बीच आठवें विकेट के लिए 241 रनों की साझेदारी हुई। जयंत ने 204 गेंदों में 15 चौके लगाए।

हरियाणा के प्रतिभाशाली खिलाड़ी जयंत नौवें क्रम पर खेलते हुए भारत के लिए टेस्ट शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए हैं। भारत का नौंवा विकेट 615 के कुल योग पर गिरा। उन्होंने अपनी पारी में 340 गेंदों का सामना कर 25 चौके और एक छक्का लगाया। इसके साथ ही कोहली ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया है। वह एक साल में तीन दोहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय और विश्व के पांचवें खिलाड़ी बन गए हैं।

इसके बाद भुवनेश्वर कुमार ने 9 और उमेश यादव ने नाबाद सात रन बनाए। भुवनेश्वर के आउट होने के साथ ही भारतीय टीम की पारी 631 रनों पर सिमट गई।  भारत के लिए पहली पारी में मुरली विजय 136 रन बनाए थे, वहीं चेतेश्वर पुजारा ने 47 रनों का योगदान दिया। कोहली टेस्ट में सर्वोच्च स्कोर करने वाले भारतीय कप्तान बन गए हैं।

उनसे पहले यह रिकॉर्ड महेंद्र सिंह धौनी के नाम था। धौनी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ 22 फरवरी, 2013 में 224 रन बनाए थे। इंग्लैंड के लिए आदिल राशिद ने सबसे अधिक चार विकेट लिए जबकि मोइन अली तथा जोए रूट को दो-दो सफलता हासिल हुई, वहीं को दो और क्रिस वोक्स और जैक बॉल एक-एक विकेट लेने में सफल रहे। इसके अलावा, जड़ेजा ने भी अपने विकेट का शतक पूरा कर लिया है। वह टेस्ट करियर में 100 से अधिक विकेट ले चुके हैं।

 

 

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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