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नेशनल

बीसीसीआई को शीर्ष अदालत से मिली राहत, निकाल सकेंगे पैसे

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बीसीसीआई, सर्वोच्च न्यायालय, टी.एस.ठाकुर, ए.एम.खानविल्कर, डी.वाई.चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति, प्रधान न्यायाधीश

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बीसीसीआई, सर्वोच्च न्यायालय, टी.एस.ठाकुर, ए.एम.खानविल्कर, डी.वाई.चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति, प्रधान न्यायाधीश

बीसीसीआई-सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली  | सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को मुंबई और चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले दो टेस्ट मैचों और तीन एकदिवसीय व तीन टी ट्वेंटी मैचों के लिए कुल 2.83 करोड़ रुपये अपने खाते में से खर्च करने की इजाजत दे दी। अदालत ने इन दो टेस्ट मैचों के लिए बोर्ड को 1.33 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए सहमति दे दी है।

इसके अलावा अदालत ने बीसीसीआई को अगले साल इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली तीन एकदिवसीय और तीन टी-20 मैचों की श्रृंखला के लिए 25 लाख रुपये प्रत्येक मैच (कुल 1.5 करोड़) खर्च करने की मंजूरी भी दे दी है।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ ने बीसीसीआई से राजकोट, विशाखापट्नम और मोहली में हुए टेस्ट मैचों के साथ-साथ मुंबई और चेन्नई में होने वाले टेस्ट मैचों में खर्च का हिसाब मांगा।

बीसीसीसीआई ने अदालत से तीन एकदिवसीय मैचों और तीन टी-20 मैचों की श्रृंखला के लिए 3.79 करोड़ रुपये की मांग की थी। लेकिन, अदालत ने उसे एकदिवसीय और टी-20 श्रृंखला के लिए 25 लाख रुपये प्रति मैच और मुंबई तथा चेन्नई में होने वाले टेस्ट मैच के लिए 1.33 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी।

लोढ़ा समिति की तरफ से दलील दे रहे वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने बीसीसीआई की अपील की मुखालफत नहीं की लेकिन उन्होंने अदालत से कहा कि बीसीसीआई मैचों का आयोजन उन राज्य संघों के मैदानों पर करा रहा है जो लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने से मना कर रहे हैं।

गोपाल ने अदालत से कहा, “यह वे राज्य हैं जिन्होंने आपके आदेशों को नहीं माना है। लेकिन, मैचों का आयोजन फिर भी इन्हीं के मैदानों पर किया जा रहा है।”

प्रधान न्यायाधीश ठाकुर ने बीसीसीआई से आय-व्यय की जानकरी मांगते हुए कहा, “हम जानना चाहते हैं कि कितना पैसा खर्च हुआ है और बीसीसीआई को कितने पैसे मिले हैं।”

उन्होंने कहा, “आप अपनी आय से ज्यादा खर्च कर रहे हैं। हर टेस्ट मैच के लिए बैलेंस शीट होती है।”

न्यायमूर्ति ठाकुर की यह टिप्पणी बीसीसीआई की तरफ से दलील दे रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा पेश किए गए कुछ आंकड़ों के बाद आई।

सर्वोच्च न्यायालय ने आठ नवंबर को बीसीसीआई को इंग्लैंड के खिलाफ राजकोट में हुए पहले टेस्ट मैच के लिए 58.66 लाख रुपये खाते से निकलने को मंजूरी दी थी। अदालत ने बोर्ड को तीन दिसंबर तक बाकी मैचों के लिए भी इतनी ही रकम खर्च करने की बात कही थी।

क्रिकेट प्रशासन में बदलाव के लिए सर्वोच्च अदालत द्वारा गठित लोढ़ा समिति की सिफारिशों के आने के बाद अदालत ने 21 अक्टूबर से बोर्ड के खातों पर रोक लगाई हुई है। समिति का कहना था कि जब तक बीसीसीआई उसकी सिफारिशों को लागू नहीं करता तब तक वह अपने खातों से पैसा नहीं खर्च कर सकेगा।

समिति ने साफ तौर पर कहा हुआ है कि बोर्ड जब तक उसकी सिफारिशों को लागू नहीं करता तब तक यह रोक जारी रहेगी।

 

नेशनल

सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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