नेशनल
गनी ने पाकिस्तान को आतंक का अभयारण्य कहा
अमृतसर | अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का नाम लिया। साथ ही कहा कि यदि पड़ोसी देश से आतंकियों को समर्थन मिलना जारी रहेगा तो आर्थिक सहायता की कोई भी राशि युद्ध से तबाह देश को मजबूत होने में मदद नहीं कर सकती।
गनी की यह कठोर टिप्पणी अफगानिस्तान पर 6ठे मंत्रिस्तरी ‘हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन-इस्तानबुल प्रक्रिया’ में की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ सैन्य अभियान कुछ चुनिंदा आतंकियों को उनके ठिकानों से हटाने के लिए चलाए गए।
गनी ने कहा, “पाकिस्तान में सरकार प्रायोजित अभयारण्य मौजूद हैं। तालिबान के एक अधिकारी ने हाल में कहा था कि यदि पाकिस्तान में उन्हें सुरक्षित पनाहगाह न मिले तो वे एक माह भी नहीं टिके रह पाएंगे।”
अफगानिस्तान के विकास पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी ने यह बात कही। इस सम्मेलन में पाकिस्तान की विदेश नीति के वास्तविक प्रमुख सरताज अजीज भी हिस्सा ले रहे हैं।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने युद्ध से तबाह अपने देश के पुननिर्माण के लिए 50 करोड़ डॉलर दान देने के पाकिस्तान की पेशकश के लिए पाकिस्तान को धन्यवाद दिया, लेकिन पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक सरताज अजीज को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “जनाब अजीज, मैं आशा करता हूं कि महोदय आप इसका इस्तेमाल पाकिस्तान में आतंकियों एवं चरमपंथियों से लड़ने के लिए करेंगे।”
गनी ने भारत की पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले सीमा पार के आतंकवाद की चिंता को साझा किया और कहा कि दुनिया को इस बुराई से लड़ने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान में पिछले वर्ष सबसे अधिक संख्या में लोग हताहत हुए। यह अस्वीकार्य है। कुछ देश अब भी आतंकियों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया करा रहे हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा कि वह पंजाब के इस शहर में आयोजित कार्यक्रम में आरोप-प्रत्यारोप के खेल में शामिल होना नहीं चाहते, जिसमें दक्षिण और मध्य एशिया और कई पश्चिमी देशों के नेता शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि वह आतंक के निर्यात को रोकने के लिए क्या किया जा रहा है, इस बारे में स्पष्टीकरण चाहते हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उस पर आतंकवाद का समर्थन करने और उसके लिए पैसा मुहैया कराने को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इससे पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की शांति खतरे में पड़ गई है।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद को परास्त करने के लिए हम सभी को हर हाल में मजबूत सामूहिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी। उन्होंने कहा कि शांति का समर्थन करना पर्याप्त नहीं है। इसका कठोर कार्रवाई से समर्थन अनिवार्य है।
मोदी ने कहा कि महज आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। दुनिया को जो उनका समर्थन करते हैं, पनाह देते हैं और धन देते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है।
इससे पहले गनी ने अफगानिस्तान के विकास के लिए भारत के बिना शर्त सहायता की सराहना की। उन्होंने कहा कि चाबाहार बंदरगाह का विस्तार भारत, ईरान और उनके देश के बीच क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
नेशनल
पहले फेज के वोटर के बिगाड़ा मोदी का मूड
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पारटीस के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।
जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18 वें लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।
शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकार टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।
फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्यूंकी evm खुलने के पहले कोई नहीं जनता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।
दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-
2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा जोश…
-
फैशन22 mins ago
बालों को काला-घना और मजबूत बनाने के लिए अपनाएं यह आसान उपाय
-
नेशनल3 days ago
प्रियंका गांधी ने सहारनपुर में किया रोड शो, कहा- मोदी सत्ता को पूजते हैं सत्य को नहीं
-
नेशनल1 day ago
लोकसभा चुनाव: पहले चरण में मोदी सरकार के 11 कैबिनेट मंत्रियों की परीक्षा, देखें लिस्ट
-
नेशनल1 day ago
अमरोहा की रैली में बोले पीएम मोदी, ‘मोहम्मद शमी का कमाल पूरी दुनिया ने देखा’
-
नेशनल1 day ago
संजय सिंह ने उठाया सवाल, कहा- क्या जेल में केजरीवाल को जहर देकर मारने की रची जा रही साजिश
-
नेशनल1 day ago
पीएम मोदी की लोगों से अपील, इस बात मतदान का नया रिकार्ड बनाएं
-
उत्तर प्रदेश1 day ago
लोकसभा चुनाव: पहले चरण में यूपी की आठ सीटों पर वोटिंग जारी, कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर
-
अन्तर्राष्ट्रीय1 day ago
हेलीकॉप्टर दुर्घटना में केन्या के रक्षा प्रमुख की मौत, राष्ट्रपति ने दिए जांच के आदेश