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प्रादेशिक

सेना को बदनाम नहीं करें : राज्यपाल

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पश्चिम बंगाल, राज्यपाल के.एन.त्रिपाठी, भारतीय सेना, ममता बनर्जी, लोकसभा, मनोहर पर्रिकर

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पश्चिम बंगाल, राज्यपाल के.एन.त्रिपाठी, भारतीय सेना, ममता बनर्जी, लोकसभा, मनोहर पर्रिकर

                                        KN-Tripathi

कोलकाता  | पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के.एन.त्रिपाठी ने सख्त लहजे में कहा कि भारतीय सेना को बदनाम करने का प्रयास नहीं करें। उनका यह बयान सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कथित आरोप के संदर्भ में आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि टोल प्लाजा पर तैनाती के दौरान सैनिकों ने ट्रक चालकों से उगाही की।

त्रिपाठी ने बनर्जी के इन आरोपों पर कहा, “प्रत्येक शख्स को भारतीय सेना जैसे जिम्मेदार संगठन के खिलाफ आरोप लगाने को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। सेना का मनोबल नहीं गिराए। सेना को बदनाम नहीं करें।”

मुख्यमंत्री बनर्जी ने गुरुवार रात सचिवालय में बिताई थी। वह राज्य में टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती के विरोध में शुक्रवार को वहां थीं।

केंद्र सरकार और सेना ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि सेना के नियमित अभ्यास को गलत संदर्भ में लिया गया है।

लोकसभा में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि सेना कोलकाता में नियमित अभ्यास कर रही थी। पूर्वी कमान ने इस मुद्दे पर सेना और स्थानीय पुलिस की तैनाती के बारे में विस्तृत ब्योरा देते हुए कहा कि राज्य सरकार और पुलिस इसके बारे में पहले से ही जानते थे।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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