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प्रादेशिक

मप्र में पीडीएस की शक्कर साढ़े 6 रुपये किलो महंगी

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मप्र में पीडीएस की शक्कर साढ़े 6 रुपये किलो महंगीभोपाल | मध्य प्रदेश सरकार के एक नए फैसले से महंगाई से जूझ रहे गरीबों पर एक और मार पड़ी है। अब यहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत दी जाने वाली शक्कर के दाम 13 रुपये 50 पैसे से बढ़ाकर 20 रुपये किलोग्राम कर दिए गए हैं। इस तरह शक्कर के दाम साढ़े छह रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बढ़ गए हैं।

राज्य शासन की ओर से बुधवार रात जारी एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि बाजार की स्थितियों को देखते हुए शक्कर वितरण की उपभोक्ता दर में इजाफा किया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के पात्र हितग्राहियों को दिसम्बर से शक्कर नई दर पर दी जाएगी। इससे पहले शक्कर की दर वर्ष 2002 में तय की गई थी।

आधिकारिक बयान में शक्कर की दर में इजाफे को लेकर दिए गए तर्क के मुताबिक, वर्ष 2002 से आज की स्थिति यानी 14 वर्षो के अंतराल में थोक उपभोक्ता सूचकांक में लगभग ढाई गुना की वृद्धि हो चुकी है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2002 में जब पात्र उपभोक्ताओं के लिए शक्कर का मूल्य 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया था, तब शक्कर का खुदरा बाजार मूल्य लगभग 19 रुपये प्रति किलोग्राम था। वर्तमान में शक्कर का खुदरा बाजार मूल्य दोगुना बढ़कर लगभग 40 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।

सरकार की ओर से कहा गया है कि शक्कर के बाजार भावों में निरंतर मूल्य वृद्धि के बावजूद पात्र उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर शक्कर के वर्तमान बाजार भाव लगभग 40 रुपये प्रति किलोग्राम की तुलना में पीडीएस शक्कर के उपभोक्ता मूल्य में आंशिक बढ़ोतरी कर उसे 20 रुपये प्रति किलोग्राम किया गया है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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