नेशनल
पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच कश्मीर में बोर्ड परीक्षाएं शुरू
श्रीनगर | कश्मीर में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच सोमवार से माध्यमिक विद्यालयों की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं, जिसमें एक लाख से अधिक परीक्षार्थी हिस्सा लेने वाले हैं। जम्मू एवं कश्मीर के स्कूल शिक्षा बोर्ड (बीओएसई) के अध्यक्ष जहूर अहमद चट ने बताया, “इन परीक्षाओं में एक लाख पांच हजार छात्र हिस्सा ले रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “कक्षा 12वीं की परीक्षा में 45,000 से अधिक छात्र हिस्सा ले रहे हैं। परीक्षाएं सुबह 11 बजे से 484 केंद्रों पर शुरू होंगी।”
उन्होंने कहा, “वहीं, कक्षा 10वीं की परीक्षा में 55,000 से अधिक छात्र हिस्सा ले रहे हैं। 10वीं की परीक्षा कल (मंगलवार) को शुरू होगी। “98 फीसदी छात्रों ने एडमिट कार्ड ले लिए हैं।
घाटी में नौ जुलाई से स्कूल सहित सभी शैक्षणिक संस्थान बंद थे। बीओएसई ने माध्यमिक परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों के लिए पाठ्यक्रम में 50 फीसदी की कटौती को मंजूरी दी है।
इन परीक्षाओं के सफल क्रियान्वय के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। घाटी में पिछले दो महीनों में शरारती तत्वों ने दर्जनभर स्कूल जलाकर खाक कर दिए हैं।
शिक्षा मंत्री नईम अख्ततर को अलगाववादी नेताओं से खासी आलोचना सहनी पड़ी। उन्हें स्कूलों को दोबारा खोलने के लिए आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से धमकी भी मिली।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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