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पुराने नोट जमा कराने पर नहीं मिलेगी कर माफी: अरूण जेटली

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Arun-jaitley

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि बैंकों में पुराने 500 और 1,000 के नोट जमा कराने पर किसी तरह की कर माफी नहीं मिलेगी और इस तरह के धन के स्रोत पर कर कानून लागू होगा।वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि उंचे मूल्य के नोटों को बैंक खातों में जमा करा कर ही नए और छोटे मूल्य के नोट हासिल किए जा सकते हैं।

सरकार ने कल 500 और 1,000 के नोट बंद करने की घोषणा की थी। कालेधन, भ्रष्टाचार तथा जाली नोटों पर लगाम के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। जेटली ने कहा, यह पूरी तरह से साफ है कि यह कोई कर माफी योजना नहीं है। इस राशि को जमा कराने पर कराधान से किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी। ऐसे धन के स्रोत पर जरूरी कानून लागू होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि यदि यह धन कानूनी तौर पर वैध है और इससे पूर्व में बैंक से निकाला गया है या कानूनी तरीके से कमाया गया और बचाया गया है, तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। जेटली ने डीडी न्यूज से कहा, लेकिन यदि यह गैरकानूनी पैसा है, तो इसके स्रोत का खुलासा करना होगा। यदि यह अपराध या रिश्वत की कमाई है, तो यह परेशानी की बात है।

वित्त मंत्री ने कहा कि गृहणियों तथा किसानों जिनकी बचत की जरूरत उचित है, उन्हें बैंक खातों में पैसा जमा कराने को लेकर किसी तरह की चिंता नहीं करनी चाहिए। वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि यदि लोग छोटी राशि मसलन 25,000 रपये, 30,000 या 50,000 रपये जो घर में खर्च के लिए पड़ा है उसे जमा कराना चाहते हैं तो उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। वे बैंकों के पास बेधड़क जा सकते हैं।

जेटली ने कहा कि पहले एक या दो सप्ताह के दौरान इनके स्थान पर बदलने के लिए नए नोटों की कमी हो सकती है, लेकिन दो-तीन सप्ताह में अधिक नोटों की आपूर्ति के बाद इन्हें सामान्य तरीके से बदला जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि इस कदम से लेनदेन अधिक से अधिक डिजिटल होगा। लोग अपनी आय का खुलासा करेंगे और कर अदा करेंगे। देश कर अनुपालन वाला समाज बन सकेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जिन लोगों के पास कालाधन, अपराध या रिश्वत की कमाई है उन्हें इससे क्षटका लगेगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला ईमानदारी के लिए फायदे का, बेईमानी के लिए नुकसान का है।

जेटली ने कहा कि शुरआत में कुछ दिन या कुछ सप्ताह लोगों को असुविधा हो सकती है। लेकिन भारत कालेधन और समानान्तर अर्थव्यवस्था पर हमेशा नहीं चल सकता।

उन्होंने कहा कि इस फैसले से अधिक से अधिक लेनदेन कर दायरे में आएगा और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रहण दोनों में इजाफा होगा। समानान्तर अर्थव्यवस्था में कमी से औपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि इस फैसले का कुछ असर राजनीति में भी दिखेगा। कुछ राजनीतिक चंदा अब चेकों के जरिये आना शुरू हुआ है। यदि इस कदम से कुछ सफाई हो पाती है, तो यह काफी शानदार उपाय साबित होगा।

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मुंबई बना एशिया के अरबपतियों की राजधानी, बीजिंग को पीछे छोड़ा

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मुंबई। मुंबई में अरबपतियों की संख्या बीजिंग से अधिक हो गई है। हुरुन रिसर्च की 2024 ग्लोबल रिच लिस्ट के अनुसार, मुंबई में 92 अरबपति हैं, जबकि बीजिंग में 91 अरबपति हैं। हालांकि चीन में भारत के 271 की तुलना में कुल मिलाकर 814 अरबपति हैं। ग्लोबल लेवल पर, मुंबई अब न्यूयॉर्क के बाद अरबपतियों के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है, न्यूयार्क में अरबपतियों की संख्या 119 है। लिस्ट के मुताबिक, सात साल बाद लंदन 97 के साथ दूसरे स्थान पर है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “मुंबई दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते अरबपतियों की राजधानी है, इस साल इसमें 26 अरबपति शामिल हुए और यह दुनिया में तीसरा व एशिया में अरबपतियों की राजधानी बन गया है। नई दिल्ली पहली बार शीर्ष 10 में शामिल हुई।” भारत की आर्थिक शक्ति उसकी अरबपति आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि से और भी अधिक रेखांकित हुई। देश में आश्चर्यजनक रूप से 94 नए अरबपति जुड़े, जो संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर किसी भी देश में सबसे अधिक है। कुल मिलाकर यहां 271 अरबपति हो गए। यह उछाल 2013 के बाद से सबसे ज्‍यादा है और भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते आत्मविश्‍वास का प्रमाण है।

2024 हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अरबपतियों की संचयी संपत्ति चीन की प्रति अरबपति औसत संपत्ति (3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर बनाम 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) को पार करते हुए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई।

रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योग के लिहाज से फार्मास्युटिकल क्षेत्र 39 अरबपतियों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग (27) और रसायन क्षेत्र (24) का स्थान है। सामूहिक रूप से भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 1 खरब डॉलर के बराबर है, जो वैश्विक अरबपतियों की संपत्ति का 7 फीसदी है, जो देश के पर्याप्त आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है।

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