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जंगल सफारी : बढ़ गई शिवा को देखने की चाहत

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जंगल सफारीरायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नवंबर को जिस बाघ ‘शिवा’ की आंखों में आंखें डालकर फोटो खींची थी, उसे देखने की चाहत अब हर पर्यटक में देखी जा रही है। मोदी ने छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के मौके पर एशिया के पहले मानव निर्मित जंगल सफारी का लोकार्पण किया था। इस जंगल सफारी की कुल लागत करीब 200 करोड़ रुपये है।

जंगल सफारी के दरवाजे आम जनता के लिए जब बीते रविवार को खुले तो हर किसी की जुबान पर शिवा का ही नाम था। हर कोई चाहता था कि वे भी उस टाइगर को देखें, जिसके साथ प्रधानमंत्री ने फोटो खींची है। जंगल सफारी के पहले ही दिन लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। जंगल सफारी को देखने प्रदेश के अन्य जिलों से भी लोग पहुंचे थे।

छत्तीसगढ़ में एशिया के पहले मानव निर्मित जंगल सफारी में 50 एकड़ में टाइगर सफारी, 50 एकड़ में बियर सफारी, 125 एकड़ में चिडियाघर, 2.5 एकड़ में क्रोकोडायल पार्क और जलीय पक्षियों के लिए 52 एकड़ का क्षेत्र मिलाकर कुल 800 एकड़ में सफारी और 416 एकड़ में बॉटनिकल गार्डन बनाया गया है।

जंगल सफारी में पहले ही दिन लगभग तीन लाख रुपये की कमाई हुई। वहीं सुबह नौ बजे से खुले टिकट काउंटरों पर काफी भीड़ देखी गई। भीड़ इतनी हुई कि कइयों को बिना सफारी घूमे ही लौटना पड़ा। वहीं भीड़ देखते हुए 15 बसों की व्यवस्था की गई थी। वन विभाग ने जंगल सफारी के अंदर प्रवेश लेने वाले पर्यटकों को गुलाब देकर स्वागत किया।

पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) डॉ. आर.के. सिंह के मुताबिक, जंगल सफारी के पहले दिन लगभग तीन हजार लोग पहुंचे थे। नियमों की वजह से आधे लोगों को ही प्रवेश मिल सका। उनका कहना है कि जंगल सफारी में छह महीने के भीतर पर्यटकों के लिए सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

नंदनवन के मुकाबले जंगल सफारी का सफर काफी महंगा है। नंदन वन में जहां 20 रुपये शुल्क के साथ पर्यटक प्रवेश ले सकते थे, वहीं जंगल सफारी के लिए नॉन एसी गाड़ियों में 200 रुपये शुल्क देना होगा।

सफारी भ्रमण सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक होगा। टिकट जंगल सफारी काउंटर से लिया जाएगा। यहां प्रत्येक सोमवार को अवकाश रहेगा।

वन विभाग ने जंगल सफारी के लिए जो शुल्क निर्धारित किया है, इसके अनुसार प्रति व्यक्ति नॉन एसी गाड़ियों पर 200 रुपये, एसी गाड़ियों पर 300 रुपये, छह से 12 वर्ष तक के बच्चों को लिए 50 रुपये नॉन एसी-एसी गाड़ी में 100 रुपये, छह वर्ष से कम आयु के बच्चों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

इसी तरह विदेशी पर्यटकों से 500 रुपये और एक हजार रुपये विदेशी (अवयस्क) से 400 रुपये और 800 रुपये निर्धारित किया गया है। जंगल सफारी में फोटोग्राफी के लिए स्टिल कैमरा/डिजिटल कैमरा 100 रुपये शुल्क, हैंडीकैम/वीडियो कैमरा (साधारण) के लिए 500 रुपये और व्यावसायिक वीडियो कैमरा के लिए सशुल्क अनुमति लेनी होगी।

वहीं बड़े वाहनों बस, मिनी बस के लिए 100 रुपये कार/जीप (हल्के वाहनों) के लिए 50 रुपये ऑटो रिक्शा 30 रुपये, मोटरसाइकिल 20 रुपये और 10 रुपये सायकल पार्किं ग के लिए शुल्क निर्धारित किया गया है।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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