Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

बेटी ने किया टॉप, इनाम में पिता जीत लाया गोल्ड मेडल

Published

on

Loading

devendra jhanjariaरियो डी जनेरियो। भारतीय पैरा-एथलीट देवेंद्र झाझरिया ने अपने ही पूर्व रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नया विश्व कीर्तिमान रच रियो पैरालम्पिक की भाला फेंक स्पर्धा (एफ 46) में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उन्होंने इससे पहले एथेंस पैरालम्पिक-2004 में 62.15 मीटर की दूरी के साथ विश्व कीर्तिमान रचते हुए स्वर्ण पदक जीता था। देवेंद्र की इस उपलब्धि में उनकी बेटी का भी बड़ा योगदान है। दरअसल, देवेंद्र की छह साल की बेटी जिया ने पापा के साथ डील की थी कि अगर वह एलकेजी परीक्षा में टॉप करती है तो वह प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर लाएंगे। जिया ने टॉप किया और अब देवेंद्र ने स्वर्ण पदक जीतकर बेटी से किया अपना वादा पूरा कर दिया।

देवेंद्र ने ब्राजीलियाई महानगर रियो डी जनेरियो में मंगलवार को हुई स्पर्धा के फाइनल में अपने पूर्व विश्व रिकॉर्ड में सुधार करते हुए 63.97 मीटर की सर्वश्रेष्ठ दूरी हासिल की और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। देवेंद्र ने तीसरे प्रयास में यह मुकाम हासिल किया। विश्व रैंकिंग में इस समय तीसरी वरीयता प्राप्त झाझरिया के स्वर्ण पदक जीतने के बाद फिर से शीर्ष स्थान पर पहुंचने की संभावना है।

विश्व के शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी चीन के चुनलियांग गुयो ने इस स्पर्धा में 59.93 मीटर की दूरी तय कर रजत पदक अपने नाम किया। श्रीलंका के दिनेश हेराथ प्रीयंथा ने 58.23 मीटर की दूरी के साथ कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। देवेंद्र ने पहले प्रयास में 57.25 मीटर की दूरी तय की और अपने दूसरे प्रयास में सुधार करते हुए 60.70 मीटर की दूरी तक भाला फेंका। तीसरे प्रयास में उन्होंने अपने प्रदर्शन में और सुधार किया और नया विश्व कीर्तिमान रचते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।

इस स्पर्धा में देवेंद्र के साथ भारतीय एथलीट रिंकु हुड्डा और सुंदर सिंह गुर्जर ने भी हिस्सा लिया था। रिंकु 54.39 मीटर के करियर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ पांचवां स्थान हासिल कर सके, जबकि सुंदर स्पर्धा की शुरुआत कर पाने में असफल रहे। भारत के पास अब पैरालम्पिक पदक तालिका में कुल चार पदक हैं, जिसमें दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक शामिल है। राजस्थान के चूरू के रहने वाले देवेंद्र को 2004 में अर्जुन पुरस्कार और 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। वह इस पुरस्कार को हासिल करने वाले पहले पैरालम्पिक एथलीट भी हैं।

आठ वर्ष की आयु में पेड़ पर चढऩे के दौरान देवेंद्र पर बिजली गिर गई थी, जिसके कारण उनका बायां हाथ काटना पड़ा, लेकिन इस कमी को उन्होंने अपना हथियार बनाया और अपने सपनों को पूरा किया। देवेंद्र का मानना है कि यह उनकी इच्छाशक्ति थी जिसके कारण उन्होंने सारी मुश्किलों को पार किया।

अपनी जीत के बाद देवेंद्र ने बुधवार को रियो डी जनेरियो से फोन पर बताया, अगर आपके पास इच्छाशक्ति है तो इस दुनिया में कुछ भी मुश्किल नहीं है। मैंने अपना पहला पैरालम्पिक पदक 2004 में जीता था और अब 12 साल बाद यह मेरा दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत ही है जो काम आई। झाझरिया भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के गांधीनगर केंद्र में कोच हैं।

उन्होंने कहा, मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मेरे लिए यह सपना सच होने जैसा है। मैंने 2004 में विश्व रिकार्ड तोड़ा था लेकिन यह कुछ खास है। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैंने कोई अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया।

देवेंद्र लियोन में 2013 में हुए एथलेटिक्स विश्व चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक विजेता रहे। उन्होंने पिछली बार 12 साल पहले पैरालम्पिक खेलों में एफ-46 स्पर्धा में हिस्सा लिया था, जबकि 2008 और 2012 पैरालम्पिक खेलों में हिस्सा नहीं ले पाए थे।

उन्होंने कहा, 23 साल की उम्र में पहला स्वर्ण जीतने के बाद अब 35 की उम्र में वैसी ही एकाग्रता बनाए रखना काफी मुश्किल है। लेकिन 12 साल बाद स्वर्ण पदक हासिल करने की खुशी और बढ़ गई है। मैं साई केंद्र पर रोज चार घंटे अभ्यास करता था। उन्होंने कहा, लेकिन जब मैं फिनलैंड अभ्यास के लिए गया तो वहां मैंने दिन में सात-सात घंटे अभ्यास किया। इससे वहां के अधिकारियों को महसूस हुआ कि भारतीय कितने परिश्रमी होते हैं।
देवेंद्र का मानना है कि पैराएथलीटों की तरफ लोगों का दृष्टिकोण धीरे-धीरे बदल रहा है। इसका श्रेय खिलाडिय़ों के शानदार प्रदर्शन को जाता है, सिर्फ पैरालम्पिक में ही नहीं बल्कि विश्व चैम्पियनशिप में भी खिलाडिय़ों ने शानदार प्रदर्शन किया है।

रियो पैरालम्पिक के सातवें दिन मंगलवार को इससे पहले अंकुर धामा पुरुषों की 1,500 मीटर दौड़ के पहले दौर में क्वालीफाई करने से चूक गए। उन्हें इस स्पर्धा में 11वां स्थान हासिल हुआ। कुल 17 धावकों ने इस स्पर्धा में हिस्सा लिया। अंकुर ने चार मिनट 37.61 सेकेंड का समय निकाला।

मंगलवार को ही तैराकी में सुयश जाधव भी पुरुषों की 200 मीटर व्यक्तिगत मेडले स्पर्धा के फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए। वह हीट-2 में छठे स्थान पर रहे। उन्होंने दूरी तय करने में तीन मिनट 1.05 सेकेंड का समय लिया। झाझरिया से पहले रियो पैरालम्पिक में मरियप्पन थांगावेलू ने भारत के लिए पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है। इसी स्पर्धा में वरुण भाटी ने कांस्य पदक अपने नाम किया। गोला फेंक महिला एथलीट दीपा मलिक ने रजत पदक जीता और पैरालम्पिक खेलों में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी होने का गौरव हासिल किया।

नेशनल

अमरोहा की रैली में बोले पीएम मोदी, ‘मोहम्मद शमी का कमाल पूरी दुनिया ने देखा’

Published

on

Loading

अमरोहा। पीएम मोदी ने अमरोहा के गजरौला में एक जनसभा को संबोधित किया। पीएम ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बना, तो सपा-कांग्रेस दोनों पार्टियों में प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा दिया। ये लोग आए दिन राम मंदिर और सनातन आस्था को गालियां दे रहे हैं। अभी रामनवमी पर प्रभु रामलला का भव्य सूर्य तिलक हुआ है। आज जब पूरा देश राममय है। तब समाजवादी पार्टी के लोग रामभक्ति करने वालों को सार्वजनिक रूप से पाखंडी कहते हैं।

इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद शमी की जमकर तारीफ की। दरअसल मोहम्मद शमी अमरोहा के ही रहने वाले हैं। पीएम मोदी ने कहा, अमरोहा केवल ढोलक ही नहीं, देश का डंका भी बजाता है। उन्होंने कहा, ‘‘क्रिकेट वर्ल्ड कप में भाई मोहम्मद शमी ने जो कमाल किया वो पूरी दुनिया ने देखा है। खेलों में शानदार प्रदर्शन के लिए केंद्र सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार दिया है और योगी सरकार यहां के युवाओं के लिए स्टेडियम भी बनवा रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अमरोहा की एक ही थाप है- कमल छाप और अमरोहा का एक ही स्वर है- फिर एक बार मोदी सरकार।’’

आपको बता दें कि जब भारतीय टीम को वर्ल्ड कप फाइलन में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। उस दौरान पीएम ने भारतीय क्रिकेट टीम से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम मोदी ने शमी से भी मुलाकात की थी। उन्होंने शमी की पीठ थपथपाई थी और उनसे बात भी की थी। पीएम मोदी का ये वीडियो उस दौरान काफी वायरल हुआ था।

अपने भाषण में आगे पीएम मोदी ने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव देश के भविष्य का चुनाव है। इस चुनाव में आप का एक एक वोट भारत के भाग्य को सुनिश्चित करने वाला है। भाजपा गांव, गरीब के लिए बड़े विजन और बड़े लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ रही है लेकिन इंडिया गठबंधन के लोगों की सारी शक्ति गांव, देहात को पिछड़ा बनाने में लगती है। इस मानसिकता का सबसे बड़ा नुकसान अमरोहा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों को उठाना पड़ा है।

Continue Reading

Trending