नेशनल
डेंगू, चिकनगुनिया से घबराएं नहीं : नड्डा
नई दिल्ली| केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा ने बुधवार को कहा कि डेंगू और चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों से घबराने की जरूरत नहीं है। साथ ही उन्होंने मच्छरों के प्रजनन की रोकथाम के लिए उनसे सहयोग मांगा। नड्डा ने एक संवादाता सम्मेलन में कहा, “घबराने की कोई जरूरत नहीं है।”
नड्डा ने कहा, “हर जगह, खास तौर पर दिल्ली में, हमें लोगों के सहयोग की जरूरत है। मच्छरों के प्रजनन को रोका जाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “हर परिवार को घरेलू स्तर पर इसमें भागीदारी करनी होगी। हमें इसकी जांच करने की आवश्यकता है कि कहीं भी पानी का जमाव न हो।”
उन्होंने स्वच्छता और सफाई पर बल दिया। साथ ही कहा कि उन्होंने बुधवार को इस बारे में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से बात की।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने उन्हें भरोसा दिया कि उनके पास सभी जरूरी संसाधन हैं।
नड्डा ने कहा, “मैंने सत्येंद्र जैन से बात की है। उन्होंने कहा कि उनके पास सभी संसाधन हैं और वे केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार कार्य कर रहे हैं।” जैन ने नड्डा को भरोसा दिया कि दिल्ली के पास सभी दवाएं, अस्पतालों में बिस्तर और जांच की सुविधा मौजूद है। राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार तक चिकनगुनिया से पांच और डेंगू से चार मौतें हो चुकी हैं। इस तरह वेक्टर जनित रोगों की वजह से कुल नौ मौतें हो गई हैं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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