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प्रादेशिक

उप्र : विधान परिषद की 13 सीटों के लिए मतदान जारी

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उप्र : विधान परिषद की 13 सीटों के लिए मतदान जारी

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उप्र : विधान परिषद की 13 सीटों के लिए मतदान जारी

लखनऊ| उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों के लिए शुक्रवार सुबह से मतदान जारी है। विभिन्न पार्टियों के असंतुष्ट विधायकों की वजह से सभी दलों की बैचेनी बढ़ गई है। विधान परिषद की 13 सीटों पर कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें समाजवादी पार्टी (सपा) के आठ, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के तीन, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो और कांग्रेस के एक उम्मीदवार हैं। भाजपा के 41 विधायक हैं, लेकिन उसने दूसरे प्रत्याशी के रूप में दयाशंकर सिंह को उतारा है।भाजपा की रणनीति से सपा, कांग्रेस और बसपा खेमे में खलबली है। वे निर्दलीय और छोटे दलों से लगातार संपर्क साधे हुए हैं। दूसरे दलों में सेंधमारी के प्रयास हो रहे हैं।परिषद को लेकर चल रहे चुनाव के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने संवाददाताओं से कहा, “हमारे पास विधायकों का समर्थन है। हमारे सभी प्रत्याशी जीतेंगे।”मौर्य ने जीत के आंकड़ें के बारे में पूछे जाने पर कहा, “बस देखते जाइए और परिणाम आने का इंतजार कीजिए।”

सत्तारूढ़ सपा के कुल 229 विधायक हैं। आठ प्रत्याशियों की जीत के लिए उसे 232 विधायकों का वोट चाहिए, लेकिन कुछ विधायकों द्वारा ‘क्रॉस वोटिंग’ करने की अटकलें हैं।सपा को रालोद के समर्थन से राहत मिली है। रालोद के आठ विधायक हैं। इसके अलावा सपा को पीस पार्टी के तीन, कौमी एकता दल के दो, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के एक तथा पांच निर्दलीय विधायकों के समर्थन का भरोसा है।इधर, बसपा के 80 विधायक हैं और उसने तीन प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं। तीनों को पहली वरीयता के मतों से जीत दिलाने के लिए सात अतिरिक्त वोटों की जरूरत है। बसपा को तृणमूल विधायक का समर्थन हासिल है।बसपा के कुछ विधायकों के बागी तेवर अख्तियार करने की भी आशंका है। ऐसे में बसपा को और ज्यादा वोटों का इंतजाम करने के लिए चुनावी कौशल दिखाना पड़ेगा। बसपा की नजर निर्दलीय व छोटे दलों के साथ ही सपा व दूसरी पार्टियों के विधायकों पर भी है।

भाजपा ने 41 विधायकों के भरोसे दो प्रत्याशी उतारे हैं। उसे एनसीपी, अपना दल और एक निर्दलीय का समर्थन हासिल है।सपा के बागी रामपाल यादव, एक कांग्रेस और एक बसपा विधायक उनके संपर्क में बताए जा रहे हैं। इसके बावजूद भाजपा को दूसरा प्रत्याशी जिताने के लिए 11 और वोटों की जरूरत है। उसकी उम्मीदें सपा, कांग्रेस और बसपा के असंतुष्ट विधायकों पर टिकी हैं।विधानसभा में कांग्रेस के 29 विधायक हैं। यदि वे एकजुट होकर मतदान करें तो एक प्रत्याशी को जिता सकते हैं, लेकिन कांग्रेस में भी कुछ विधायकों के ‘क्रॉस वोटिंग’ की आशंका है।कांग्रेस के विधायक अजय राय ने संवाददाताओं को बताया कि पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिलेगी। भाजपा का इतिहास हमेशा से ही विधायकों की खरीद फरोख्त का रहा है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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