प्रादेशिक
महबूबा अनंतनाग से लड़ेंगी विधानसभा उपचुनाव
श्रीनगर| मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव के लिए अपना नातांकन पत्र भरा। यह सीट उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद खाली हुई है। महबूबा अपने 26 साल के राजनीतिक करियर में विधानसभा चुनावों में कभी पराजित नहीं हुई हैं। नामांकन के समय उनके साथ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के कई वरिष्ठ नेता भी उनके साथ थे।
मुख्यमंत्री का पद ग्रहण के बाद छह महीने के भीतर राज्य की द्विसदनीय विधायिका के किसी भी सदन का सदस्य होना महबूबा के लिए जरूरी है।
दक्षिण कश्मीर में पीडीपी के इस गढ़ से उपचुनाव लड़ने के लिए नेशनल कांफ्रेंस ने इफ्तिखार हुसैन मिगार को उतारा है, जबकि कांग्रेस ने हिलाल अहमद शाह को टिकट दिया है।
2014 के विधानसभा चुनाव में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मिसगार को 6,000 मतों के अंतर से हराया था, जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी।
उधर उत्तर कश्मीर के लांगेट विधानसभा क्षेत्र से विधायक इंजीनियर राशिद ने कहा कि वह राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ उप चुनाव लड़ेंगे।
महबूबा अभी दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।
महबूबा पहले तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं। उन्होंने 1996 में बिजबेहारा, 2002 में पहलगाम और 2008 में वाची विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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