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नहीं होगा रेलवे का निजीकरण : प्रधानमंत्री

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वाराणसी| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि कुछ लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि केंद्र सरकार रेलवे का निजीकरण करने जा रही है, लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि रेलवे का निजीकरण किसी भी हालत में नहीं किया जाएगा। संसदीय क्षेत्र वाराणसी में डीएलडब्ल्यू के विस्तार की आधारशिला रखने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “रेलवे को मुझसे ज्यादा करीब से कोई नहीं जानता। कुछ लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि रेलवे का निजीकरण होने जा रहा है।” मोदी ने कहा, “आज मैं यह स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि रेलवे का निजीकरण किसी भी हालत में नहीं होगा। चीन और जापान से जो पैसा आएगा उसे रेलवे के विकास में लगाया जाएगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की योजना है कि देश में चार रेलवे विश्वविद्यालय खोले जाएं और इन विश्वविद्यालयों में शिक्षा हासिल करने वाले लोगों को रेलवे में रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा, “जिन चार विश्वविद्यालयों को खोले जाने की पहल हो रही है, उन्हीं में जापान और चीन की मदद से नई तकनीकों पर अध्ययन किया जाएगा। इसका लाभ पूरी तौर पर लोगों को ही मिलेगा।” प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे के पास देश को आगे ले जाने की मजबूत आर्थिक शक्ति मौजूद है। रेलवे का विकास जितना होगा उतनी ही ज्यादा देश की तरक्की होगी।

मोदी ने कहा, “रेलवे देश को आगे ले जाने की ताकत रखती है। रेलवे बहुत बड़ी आर्थिक ताकत है। इतना बड़ा इन्फ्रास्टक्च र और इतना बड़ा मैन पॉवर किसी के पास नहीं है। रेलवे का आधुनिकीकरण करके इस शक्ति का लाभ उठाया जा सकता है।” प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा कि ‘जय जवान और जय किसान’ का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री इसी मिट्टी से ताल्लुक रखते थे। उनके इस नारे के बाद देश के किसानों की मेहनत की बदौलत ही देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बन पाया। उन्होंने कहा, “ठीक इसी नारे की तरह मैंने मेक इन इंडिया का नारा दिया है। देश में 65 फीसदी आबादी 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों की है। देश के युवा ही हमारी असली ताकत हैं। जिस देश के पास इतनी बड़ी युवा शक्ति हो, वह देश कुछ भी हासिल कर सकता है।”

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में एक कार्यक्रम में कहा कि बीएचयू में पं. मदन मोहन मालवीयजी के सपने बसे हुए हैं। आने वाले दिनों में उनके सपनों को संजोकर रखना और उन्हें पूरा करना हमारे लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि दुनिया में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की कमी है और इसे अकेले भारत ही दूर कर सकता है। बकौल प्रधानमंत्री, “मालवीयजी के नाम से योजना का उद्घाटन करना सौभाग्य की बात है। देश में उत्तम शिक्षकों की कमी है। 21वीं सदी भारत के लिए ज्ञान और विकास की सदी होगी।”

उन्होंने कहा कि भारत पूरी दुनिया को शिक्षक उपलब्ध करा सकता है। गरीब और अमीर सभी देशों को अच्छे शिक्षकों की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी युवा शक्ति है और इसका उपयोग हम अपनी शक्ति बढ़ाने में कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि दुनिया के सभी देशों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की बात मानी है। जो काम पिछले 100 वर्षो में नहीं हुआ था, वह 100 दिन के भीतर हो गया। वाराणसी के सांसद ने कहा, “हमारी सांस्कृतिक विरासत हमारी ताकत है। काशी में पर्यटकों को खींचने की अद्भुत शक्ति है। पूरी दुनिया से लोग यहां बाबा भोलेनाथ और अन्य धार्मिक स्थलों पर घूमने के लिए आते हैं। हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि कैसे अधिक से अधिक पर्यटक बनारस पहुंचें।”

इससे पूर्व उन्होंने साफ किए गए अस्सी घाट का मुआयना किया और वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए सफाई अभियान में जुटे सभी स्वयंसेवी संगठनों, नगर निगम के कर्मचारियों, सामान्य प्रशासन और आम लोगों का आभार जताया। उन्होंने अभियान से जुड़ने के लिए नौ लोगों को नामित किया। इसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी, हास्य कलाकार कपिल शर्मा, पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी सौरभ गांगुली, मीडिया समूह इंडिया टुडे ग्रुप के अरुण पुरी, मीडिया इनाडु ग्रुप के रामोजी राव, इंडियन चार्टर्ड अकाउंटेंट इंस्टीट्यूट, मुंबई के डिब्बेवाले, नृत्यांगना सोनल मानसिंह और नगालैंड के राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य शामिल हैं। इससे पहले बाबतपुर हवाईअड्डे पर विशेष विमान से उतरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने की।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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