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प्रादेशिक

बिहार : पार्षद मनोरमा देवी की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

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बिहार : पार्षद मनोरमा देवी की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

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बिहार : पार्षद मनोरमा देवी की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

गया| बिहार के गया में रोडरेज की घटना में 19 वर्षीय छात्र आदित्य सचदेवा की हत्या के मुख्य आरोपी रॉकी यादव की मां और विधान पार्षद (एमएलसी) मनारेमा देवी के घर में शराब बरामदगी मामले में गया की एक अदालत ने मंगलवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी। अगली सुनवाई 27 मई को होगी। इस बीच एक अदालत ने विधान पार्षद के पति और सचदेवा हत्याकांड के आरोपी बिन्दी यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी है।

गया अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने बिन्दी यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी है।

बिन्दी यादव के अधिवक्ता मोहम्मद कैशर शर्फूद्दीन ने बताया कि यादव की जमानत के लिए अब वह ऊपरी अदालत में अर्जी देंगे।

इधर, गया जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने घर में शराब मिलने के मामले में मनोरमा देवी की जमानत याचिका पर सुनवाई टालते हुए पुलिस से केस डायरी व लोकल केस रिपोर्ट की मांग की है।

सहायक लोक अभियोजक सुरेन्द्र नारायण सिंह ने बताया कि इस मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी।

गौरतलब है कि रॉकी की गिरफ्तारी के लिए मनोरमा देवी के घर हुई छापेमारी में विदेशी शराब बरामद हुई थी। गया के रामपुर थाने में दर्ज इस मामले में अदालत ने मनोरमा देवी की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया था। पार्षद ने न्यायालय के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि बिहार में पांच अप्रैल से शराबबंदी है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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