प्रादेशिक
कश्मीर में सत्ता की चाबी भाजपा के पास
श्रीनगर| जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा के लिए हुए चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने के बाद यहां सरकार गठन को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है, लेकिन सत्ता की चाबी केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के पास है। नया जनादेश आने के बाद राज्य में नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के हाथ से सत्ता फिसल गई है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, लेकिन बहुमत से दूर है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘किंग मेकर’ की भूमिका में सामने आई है। केंद्र में सत्तारूढ़ यह पार्टी हालांकि अपने मिशन ’44+’ में कामयाब नहीं हो सकी, फिर भी राज्य में सरकार बनाने की चाबी इसी के पास है।
भाजपा की शर्तो ने हालांकि दोनों पार्टियों को पसोपेश में डाल दिया है। भाजपा ने किसी भी पार्टी को सरकार गठन में सहयोग देने के लिए शर्ते रखी हैं। भाजपा की शर्ते हैं-सरकार के छह साल के कार्यकाल में से आधे समय यानी तीन साल के लिए उसकी सरकार होगी और कोई ‘हिंदू’ मुख्यमंत्री होगा।
राज्य की दोनों प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों ने हालांकि सरकार गठन के लिए अपने विकल्प खुले रखने की बात कही है, लेकिन हिंदूवादी भाजपा की शर्ते नेकां और पीडीपी, दोनों को न तो उगला जा रहा है और न ही निगला जा रहा है।
भाजपा की शर्त सुनकर नेकां ने विपक्ष में बैठने का फैसला किया है। भाजपा की शर्त के बारे में नेकां के एक नेता ने कहा, “देश के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य में भावनात्मक आधार पर ऐसा कुछ नहीं थोपा जाना चाहिए।”
चुनाव में पीडीपी को जहां 28 सीटें मिली हैं, वहीं भाजपा को 25, नेकां को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली हैं।
इस बीच कांग्रेस ने पीडीपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन की पेशकश की है, लेकिन दोनों पार्टियों को मिलाकर महज 40 सीटें हो रही हैं, जबकि बहुमत के लिए 44 सीटों की जरूरत है।
सरकार गठन में सात निर्दलियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी, लेकिन उनमें से ज्यादातर का झुकाव पहले से ही भाजपा की ओर है। सज्जाद लोन की अध्यक्षता वाली पीपुल्स कांफ्रेंस को दो सीटें मिली हैं। लोन अब भाजपा के हिमायती माने जाते हैं।
इस बीच, उमर अब्दुल्ला ने भले ही राज्य में नेकां की सरकार बनाने के लिए कोशिश न करने की बात कही हो, फिर भी भाजपा सत्ता में पैठ बनाने के लिए उससे संपर्क साधने की कोशिश में है।
सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि भाजपा के कई नेता उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला के संपर्क में हैं। फारूक फिलहाल लंदन में हैं। वहां उनकी किडनी का प्रत्यारोपण हुआ है।
याद रहे कि फारूक अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि नरेंद्र मोदी का समर्थन करने वालों को समंदर में डूब जाना चाहिए। लेकिन जब सत्ता सामने हो तो सियासतदानों के ऐसे बयान भूलते देर नहीं लगती।
नेकां ने शुरू में पीडीपी को सरकार गठन के लिए समर्थन देने की बात कही थी। उमर ने ट्विटर पर इसे दोहराया है, लेकिन पीडीपी इसके लिए बहुत गंभीर नहीं दिखती।
उमर के प्रस्ताव पर श्रीनगर जिले की अमीरा कदाल सीट से जीतने वाले पीडीपी प्रत्याशी अल्ताफ बुखारी ने कहा, “वह समर्थन देने का लिखित प्रस्ताव दें, तभी हम उस पर विचार करेंगे।”
उत्तर प्रदेश
हरदोई में 16 बार चुनाव लड़ा, हर बार मिली हार, फिर से मैदान में उतरे शिवकुमार
हरदोई। देश भर में चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है और ऐसे में हरदोई में भी चुनाव की गरमा गरमी अब खूब देखने को मिल रही है। यहां पर एक ऐसे प्रत्याशी भी है जो 17 वी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। अब तक कुल 16 बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें आजतक किसी भी चुनाव में जीत नहीं मिली है। इनका नाम है शिवकुमार और यह शहर कोतवाली क्षेत्र के मन्नापुरवा के रहने वाले है।
इनका कहना है कि वह हारने के बाद भी वह चुनाव लड़ते रहेंगे क्योंकि जनता उनका सम्मान बरकरार रखती है। उन्होंने कहा कि इस बार अगर वह जीतते हैं तो लोकसभा क्षेत्र के लोगों की हर समस्या के समय उनके साथ खड़े रहेंगे और उनका सहयोग करेंगे। शिवकुमार ने प्रत्येक बार निर्दलीय होकर चुनाव लड़ा है।
शिवकुमार ने 3 प्रधानी के चुनाव 3 जिला पंचायत के साथ 7 चुनाव विधानसभा और अब तक 3 चुनाव दिल्ली वाले यानी लोकसभा ले लड़े है और अब वह चौथी बार 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि उनके मुद्दे क्या है अगर वह बता देंगे तो लोग नकल कर लेंगे।
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