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आईपीएल : पंत और डी काक की साझेदारी से जीती दिल्ली

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आईपीएल : पंत और डी काक की साझेदारी से जीती दिल्ली

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आईपीएल : पंत और डी काक की साझेदारी से जीती दिल्ली

राजकोट| ऋषभ पंत (69) और क्विंटन डी काक (46) के बीच पहले विकेट के लिए हुई शतकीय साझेदारी की बदौलत दिल्ली डेयरडेविल्स ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के नौवें संस्करण में मंगलवार को गुजरात लायंस को आठ विकेट से हरा दिया।

सौराष्ट्र क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए इस मैच में गुजरात ने दिल्ली को 150 रनों का लक्ष्य दिया था, जिसे उसने 17.2 ओवरों में दो विकेट खोकर हासिल कर लिया।

पंत ने 40 गेंदों में दो छक्के और नौ चौकों की मदद से अर्धशतकीय पारी खेलने के अलावा डी काक के साथ पहले विकेट के लिए 115 रनों की साझेदारी कर जीत की नींव रखी। पंत को मैन ऑफ द मैच चुना गया। वहीं, डी काक ने अपनी पारी में 45 गेंदें खलेते हुए एक छक्का और पांच चौके लगाए।

दिल्ली के गेंदबाजों के आगे संघर्ष करने वाली गुजरात ने दिनेश कार्तिक की 43 गेंदों में पांच चौकों की मदद से खेली गई 53 रनों की पारी की बदौलत 20 ओवरों में सात विकेट खोकर 149 रनों का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया था।

लक्ष्य का पीछा करने उतरी दिल्ली को जीत दर्ज करने में किसी प्रकार की समस्या नहीं हुई और उसने 16 गेंद पहले मैच अपने नाम कर लिया।

सलामी बल्लेबाज पंत और डी काक ने टीम को मनमाफिक शुरुआत दी। पंत ने एक छोर से तेज खेल खेला तो डी काक ने धीरे-धीरे अपनी पारी को आगे बढ़ाया। गुजरात को पहले विकेट के लिए 13.3 ओवर का इंतजार करना पड़ा। रविन्द्र जडेजा ने पंत को विकेट के पीछे कैच करा गुजरात को पहली सफलता दिलाई।

पंत के जाने के बाद उनके जोड़ीदार डी काक अपना अर्धशतक पूरा करने से पहले ही पवेलियन लौट गए। उन्हें शिविल कौशिक ने 121 के स्कोर पर पवेलियन भेजा।

इसके बाद संजू सैमसन (नाबाद 19) और ज्यां पॉल ड्यूमिनी (नाबाद 13) ने एक भी विकेट नहीं गिरने दिया। सैमसन ने 18वें ओवर की दूसरी गेंद पर छक्का जड़ टीम को जीत दिलाई।

इससे पहले, टॉस हारकर बल्लेबाजी करने उतरी गुजरात की शुरुआत अच्छी नहीं रही। ब्रेंडन मैक्लम (1) तीसरे ओवर की पांचवी गेंद पर 17 के कुल स्कोर पर जहीर खान का शिकार बने। दूसरे सलामी बल्लेबाज ड्वायन स्मिथ (15) आक्रामक मूड में थे। उन्होंने पहले ओवर में एक और दूसरे ओवर में दो चौके लगाए लेकिन शहबाज नदीम ने चौथे ओवर की पहली गेंद पर उन्हें पवेलियन भेज दिया।

स्मिथ के बाद आए एरॉन फिंच (5) भी नदीम का शिकार बने। गुजरात ने 24 रनों पर अपने तीन बड़े विकेट गंवा दिए थे। संकट के समय में कप्तान सुरेश रैना (24) ने कार्तिक के साथ चौथे विकेट के लिए 51 रनों की साझेदारी कर टीम को संभाला।

रैना को अमित मिश्रा ने पवेलियन भेजा। रैना के बाद रविन्द्र जडेजा (नाबाद 36) ने कार्तिक का साथ दिया और पारी को आगे बढ़ाया। टीम का स्कोर जब 127 था तब मोहम्मद समी ने कार्तिक को बोल्ड कर पवेलियन भेजा।

जेम्स फॉक्नर (7) जल्दी रन बनाने की कोशिश में पवेलियन लौट गए। जडेजा ने अंत तक खेलते हुए टीम को 149 के स्कोर तक पहुंचाया।

गुजरात की तरफ से सबसे सफल गेंदबाज नदीम रहे। उन्होंने तीन ओवरों में 23 रन देकर दो विकेट हासिल किए। उनके अलावा मौरिस, जहीर, मिश्रा, समी ने एक-एक विकेट लिया। एक बल्लेबाज रन आउट हुआ।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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