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कश्मीर में सेना को बदनाम करने की साजिश नाकाम

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कश्‍मीर में सेना, बदनाम करने की साजिश नाकाम, लड़की से छेड़छाड़ का आरोप, श्रीनगर के हंदवाड़ा, सेना की फायरिंग, तीन युवकों की मौत

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कश्‍मीर में सेना, बदनाम करने की साजिश नाकाम, लड़की से छेड़छाड़ का आरोप, श्रीनगर के हंदवाड़ा, सेना की फायरिंग, तीन युवकों की मौत

photo: static.dnaindia.com

सेना के जवानों द्वारा लड़की से छेड़छाड़ का आरोप साबित हुआ झूठा

श्रीनगर/नई दिल्ली। कश्मीर में भारतीय सेना को बदनाम करने की साजिश नाकाम हो गई है। राज्य में किस तरह से सेना की छवि खराब करने की साजिश रची जाती है, इसका खुलासा एक लड़की के बयान से हुआ है। घटनाक्रम के मुताबिक मंगलवार को श्रीनगर के हंदवाड़ा में एक लड़की के साथ हुई सेना के जवानों द्वारा छेड़छाड़ की अफवाह फैलने के बाद बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया और खासा बवाल मचा। लोग सेना के बंकर पर पथराव की कोशिश करने लगे।  हंदवाड़ा में प्रदर्शन के दौरान पथराव कर रही भीड़ को तितर-बितर करने और हिंसक प्रदर्शन रोकने के लिए सेना ने फायरिंग की, जिसमें तीन युवकों की मौत हो गई। दरअसल, हंदवाड़ा में कुछ शरारती तत्वों ने एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ और मारपीट की। इसके बाद उपद्रवियों ने सेना के खिलाफ लोगों को उकसाया, जिससे हालात खराब हो गए।

पीड़ित लड़की बोली- किसी जवान ने नहीं की मेरे साथ छेड़छाड़

ताजा जानकारी के अनुसार अब सेना के खिलाफ साजिश की पीडि़त लड़की ने वीडियो में गवाही दी है। पीड़ित लड़की ने खुद सामने आकर बताया कि एक युवक ने पहले उसे थप्पड़ मारा था और फिर बाद में लोगों को इकट्ठा कर उन्हें उकसा दिया जिससे माहौल खराब हो गया। लड़की ने वीडियो में कहा है कि सेना के किसी जवान ने उसका उत्‍पीड़न नहीं किया और न ही उसके साथ छेड़छाड़ की। उसके साथ छेड़छाड़ करने वाला सेना का जवान नहीं था। एक लड़के ने इस पूरी अफवाह को फैलाया है। उसने कहा कि मैं अपने स्कूल से वापस आ रही थी उसी वक्त मैंने अपना स्कूल बैग अपनी दोस्त को दिया और बाथरूम जाने लगी। तभी एक स्थानीय लड़का वहां आया और उसने मेरा बैग छीनने की कोशिश की, मैंने उस लड़के का विरोध किया तो उसने मुझे थप्पड़ मारा। तभी एक पुलिसवाला आया और मुझे पुलिस स्टेशन ले गया। बाद में उस लड़के ने और भी लड़कों को भड़काया जिससे माहौल खराब हो गया।

अलगाववादियों ने की थी हंदवाड़ा से सेना की छावनी हटाने की मांग

सेना ने अपने एक बयान में ये भी कहा है कि लड़की ने सेना पर छेड़खानी का आरोप नहीं लगाया, छेड़छाड़ में कोई जवान शामिल नहीं है। लेफ्टिनेंट कर्नल एनएन जोशी (सेना पीआरओ) ने कहा कि हमने जो वीडियो रिलीज़ किया है, उस पर गौर करें तो सामने आता है कि कोई छेड़छाड़ नहीं हुई। ये सब सेना की छवि खराब करने के लिए किया गया है लेकिन अगर किसी ने गलती की है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस वीडियो से साफ है कि सेना पर जो छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं वो पूरी तरह बेबुनियाद हैं।  फिलहाल राज्य की मुख्यंमत्री महबूबा मुफ्ती ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं, वहीं सेना ने भी अपने स्तर पर जांच का भरोसा दिया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। इसे लेकर अलगाववादियों ने आज कश्मीर बंद का ऐलान किया है जिसके चलते प्रशासन ने शहर के कई इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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