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प्रादेशिक

राज्यपाल की सख्ती से विकास की जगी उम्मीद

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राज्यपाल की सख्ती से विकास की जगी उम्मीद

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राज्यपाल की सख्ती से विकास की जगी उम्मीद

देहरादून। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से ताजा राजनीतिक घटनाक्रम में राज्यपाल ने शहर की सफाई व्यवस्था पर सख्त रुख अपना लिया है जिसके चलते नगर निगम से लेकर जिला प्रशासन में हलचल मच गयी है। नगर आयुक्त ने जहां नगर स्वास्थ्य अधिकारी को शहर में सफाई व्यवस्था की नियमित समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, जिलाधिकारी ने इसके लिए जिले के सभी जिलास्तरीय अधिकारियों की जवाबदेही तय करना शुरू कर दिया है।

इसमें नगर निगम के तहत आने वाले सभी 60 वार्डों में रहने वाले जिले के अधिकारी भी जिम्मेदार होंगे। डीएम ने इन सभी 60 वार्डों में रहने वाले जिला स्तरीय अधिकारियों की सूची तैयार करानी शुरू कर दी है। जिला विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, मुख्य कृषि अधिकारी हों या फिर दूसरे कोई भी जिला स्तरीय अधिकारी, जिस भी वार्ड में वे रहते हैं, मॉर्निंग वॉक और आफिस आते वक्त उन्हें सफाई व्यवस्था देखनी होगी। इसकी प्रतिदिन की रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जाएगी।

जिन वार्डों में सफाई ठीक नहीं होगी, वहां नगर निगम के माध्यम से सुपरवाइजर के पेंच कसकर सफाई व्यवस्था ठीक की जाएगी। जिलाधिकारी रविनाथ रमन का मानना है कि इससे शहर में सफाई व्यवस्था की असली तस्वीर सामने आ सकेगी।

फ्लाईओवर के सुस्त निर्माण से भी नाराज

75 करोड़ रुपये की राशि खर्च करने के बाद भी दून के फ्लाईओवरों का निर्माण कार्य धीमी गति से हो रहा है। फ्लाईओवर परियोजना पर नजर दौड़ाएं तो मार्च 2013 में औपचारिकताएं पूर्ण किए बगैर ही इनका शिलान्यास कर दिया गया। राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माण करने के लिए केन्द्र सरकार से भी एनओसी नहीं ली गयी थी। इन्हें फोर लेन बनाने की स्वीकृति मिली थी परन्तु बल्लीवाला व बल्लूपुर फ्लाईओवर का आकार टू-लेन कर दिया गया। लेकिन कार्य की रफ्तार नहीं बढ़ी। लंबे समय से सुस्त गति से निर्माणाधीन शहर के तीनों फ्लाईओवरों के जल्द बनने की उम्मीद जग गई है। राज्यपाल ने बुधवार को लोक निर्माण विभाग के सचिव को बैठक में निर्देश दिए कि तीनों फ्लाईओवरों का गुणवत्तापरक काम जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि आम जनता को इनसे परेशानियों का सामना न करना पड़े।

शहर में इस वक्त बल्लूपुर चैक, बल्लीवाला चैक और आईएसबीटी चैक पर फ्लाईओवर का निर्माण कार्य चल रहा है। वैसे तो घोषणा के मुताबिक इन फ्लाइओवरों का निर्माण वर्ष 2014 में पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन धीमी प्रक्रिया के चलते अभी तक यह तैयार नहीं हो पाए हैं। इस वजह से हर दिन इनके आसपास से गुजरने वाले लोगों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पूर्व सीएम हरीश रावत के प्रयासों के बावजूद भी फ्लाईओवरों के निर्माण की धीमी चाल जारी रही।

बुधवार को राज्यपाल डा. केके पाल ने लोक निर्माण विभाग के सचिव को बुलाया। उन्होंने निर्देश दिए कि तीनों फ्लाईओवर का निर्माण जल्द से जल्द पूरा किया जाए। सचिव को ताकीद की कि फ्लाईओवर निर्माण की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

निर्माण सामग्री के सड़क पर बिखरे होने से जहां यातायात प्रभावित हो रहा है, वहीं वहां उड़ने वाली धूल से भी लोग परेशान हैं। यहां सड़क दुर्घटनाओं में मौतें भी हुई हैं। मानवाधिकार आयोग, हाईकोर्ट और सिटी मजिस्ट्रेट कोर्ट भी इस पर समय-समय पर दिशा निर्देश दे चुके हैं, लेकिन कोई खास सख्ती और तेजी विभागों और संबंधित कार्यदायी संस्थाओं द्वारा नहीं दिखाई गई है। अब उम्मीद है कि इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप आड़े नहीं आएगा।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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