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राजनीतिक ऊथल-पुथल के बीच सोनिया से मिलेंगे रावत

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उत्तराखंड में राजनीतिक ऊथल-पुथल, मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी

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उत्तराखंड में राजनीतिक ऊथल-पुथल, मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी

देहरादून| उत्तराखंड में राजनीतिक ऊथल-पुथल के बीच राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत सोमवार को नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं। रावत सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 28 मार्च तक का समय दिया गया है। मुख्यमंत्री ने अपने समर्थक विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए उन्हें अलग-अलग स्थानों पर भेज दिया है। इस बीच सूत्रों के मुताबिक, रावत सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात करेंगे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, विधायक गणेश गोदियाल, विजयपाल सजवाण, मदन बिष्ट, सरिता आर्य, राजेंद्र भंडारी आदि को लैंसडौन के एक रिसॉट में भेजा गया है। अतिविश्वस्त विधायकों को भी बहुमत के दिन तक खुद को अज्ञातवास में रखने की हिदायत दी गई है। कुछ विधायकों को अल्मोड़ा के सल्ट और रामनगर भेजा गया है।

उत्तराखण्ड का संकट

बागी विधायकों के कुछ अन्य कांग्रेस विधायकों से संपर्क में होने के दावे के बाद से मुख्यमंत्री खेमा सतर्क है। इसकी जानकारी उनके सलाहकार रणजीत रावत को दी गई है। देहरादून में मौजूद विधायकों को सहस्त्रधारा हेलीपेड से सीधा लैंसडौन रवाना कर दिया। यह क्षेत्र जिम कार्बेट क्षेत्र से जुड़ा है। टीम में शामिल एक विधायक ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि अधिकांश विधायक सुरक्षित स्थान पर पहुंच चुके हैं। विधायक राजकुमार ने बताया, “कुछ विधायकों के कर्बेट पार्क जाने की सूचना है। मैंने दो दिन बाद गुरुवार को होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया है, इसलिए मैं फिलहाल देहरादून में ही हूं। हमारी सरकार बहुमत में है और इसे किसी प्रकार का भी खतरा नहीं है।”

टीम में शामिल एक विधायक ने बताया कि यह बेहद खूबसूरत जगह है। रिसॉट जंगल के करीब है। ज्यादातर विधायक और मंत्री यहां आ चुके हैं। सभी विधायक पूरे समर्पण के साथ हरीश रावत के साथ हैं।इस बीच उतराखंड के मुख्यमंत्री सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे और उत्तराखंड के सियासी संकट से उन्हें अवगत कराएंगे। इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 26 विधायक कांग्रेस के नौ बागी विधायकों के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर सकते हैं। बागी विधायकों में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत भी शामिल हैं।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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