आध्यात्म
मानवदेह ‘मैं’ कौन?, ‘मेरा’ कौन? का समाधान करने को मिला है
तो ये तीन चीजें भगवान् की कृपा से मिलती हैं। अगर महापुरुष मिल भी जाय और मुमुक्षुत्व नहीं है, प्यास नहीं है, भूख नहीं है, संसार से वैराग्य नहीं है, तो महापुरुषों का मजाक बनाते हैं हम लोग। देखो देखो, बाबाजी कहाँ जा रहे हैं? ये जो बेवकूफ इतने आदमी पढ़े लिखे इनके पीछे-पीछे घूमते हैं, हम समझदार हैं किसी बाबा के चक्कर में नहीं आये। हम लोग यों कहते हैं।
येहि सर आवत कठिनाई। राम कृपा बिनु आई न जाई।।
आप लोग जो यहाँ पर आये हैं राधारानी के दरबार में, ये ऐसे ही नहीं हुआ। बहुत जन्मों में बहुत साधना की है। उसका फल राधारानी ने दिया है। अन्यथा आप भी मजाक बनाते राधाकृष्ण का भी और उनके जनों का भी। तो ये मानवदेह इसीलिये मिला है कि, ‘मैं’ कौन?, ‘मेरा’ कौन? का समाधान करो।
अगर आप कहें कि क्यों ऐसे प्रश्नों के चक्कर में पड़ें? हाँ ठीक है, प्रश्न तो आपका गलत नहीं है। लेकिन भोले बच्चों वाला प्रश्न है। क्यों? आखिर आप चाहते क्या हैं? कुछ तो चाहते होंगे? हाँ, चाहते तो हैं। क्या चाहते हैं? आनन्द, बस एक शब्द, आनन्द। वो कैसा होता है? ये सब नहीं मालूम। पिफर क्यों चाहते हैं? अरे किसी को कुछ चखने को मिल जाय तो उसी को पिफर चाहता है। कभी चखा है आनन्द, कैसा होता है? हाँ उसका आभास चखा है। अच्छा, कब? रोज, जब गहरी नींद में सोते हैं। गहरी नींद में? हाँ-
तद् यथा प्रियया स्त्रिया सम्परिष्वक्तो न बाह्यं किञ् चन वेद नान्तरमेवमेवायं पुरुषः प्राज्ञेनात्मना सम्परिष्वक्तो न बाह्यं किञ् चन वेद नान्तरम्।
(बृहदारण्यकोपनिषद् 4-3-21)
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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