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हेल्थ

हृदयरोग में भी दमा जैसे लक्षण संभव

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नई दिल्ली। हृदयरोग में भी दमा जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। हृदयरोगी में अगर मोटापा और खून की कमी, दोनों हो तो सांस फूल सकती है। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि आम तौर पर सांस संबंधी समस्या की वजह दमा (अस्थमा) नहीं होती। मोटापा और एनीमिया दोनों की वजह से ‘एग्जर्शनल ब्रेथलेसनेस’ हो सकती है।

उन्होंने यह भी कहा कि अनियंत्रित रक्तचाप, डायस्टॉलिक हार्ट का डिस्फंक्शन और हार्ट के बढ़ जाने से भी सांस संबंधी समस्या हो सकती है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अगर 40 की उम्र के बाद जिंदगी में पहली बार किसी भी तरह की सांस संबंधी समस्या हुई हो तो जब तक कुछ और साबित न हो जाए, उसे हृदय संबंधी समस्या ही मानना चाहिए।

हृदय के आराम करने के फंक्शन का असंतुलित हो जाना आज एक नई महामारी के रूप में फैल रही है, इसमें हृदय की धमनियों में किसी भी तरह का ब्लॉकेज नहीं होता मगर हृदय को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि हृदय के डायस्टॉलिक फंक्शन को टिश्यू डॉप्लर इकोकार्डियोग्राफी परीक्षण से पता लगाया जा सकता है। साधारण ईको से इसका डायग्नोसिस नहीं हो पाता है, क्योंकि इससे आमतौर पर हृदय के सिस्टॉलिक फंक्शन का पता लगता है।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया की शुरुआत 1986 में हुई थी। यह एक अग्रणी गैर सरकारी संस्था है, जिसका उद्देश्य लोगों को उनके जीवन के हर कदम और प्रत्येक पहलू से संबंधित स्वास्थ्य के संबंध में जागरूक करना है और देश की स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए उपाय करने में सहयोग देना है।

लाइफ स्टाइल

हार्ट अटैक से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय, सही खानपान व व्यायाम है जरूरी

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नई दिल्ली। आजकल हमें लगभग रोज ऐसे वीडियो देखने को मिलते हैं जिनमें बाहर से दिखने वाले एक स्वस्थ इंसान को अचानक हार्ट अटैक आता है और तुरंत ही उसकी मौत हो जाती है। ऐसा वीडियो देखकर लोग डर रहे हैं। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप हार्ट की बीमारी से दूर रह सकते हैं।

खानपान

गेहूं की रोटी की जगह बाजरा, ज्वार या रागी अथवा इनका आटा मिलाकर बनाई रोटी खाएं।

आम, केला, चीकू जैसे ज्यादा मीठे फल कम खाएं। इनके बजाय पपीता, कीवी, संतरा जैसे कम मीठे फल खाएं।

तली और मीठी चीजें जितना कम कर दें, उतना बेहतर है।

जितनी भूख से उससे 20 फीसदी कम खाएं और हर 15 दिन में वजन चेक करते रहें।

व्यायाम

सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें। वॉकिंग भी करते हैं तो असर दिखता है।

दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। वजन जितना बढ़ेगा और हृदय रोगों का खतरा उतना ज्यादा रहेगा।

फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे।

अगर एक से डेढ़ किलोमीटर जाना है तो पैदल जाएं।

7 घंटे की नींद जरूरी

रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें।  जल्दी सोने और जल्द उठने का रूटीन बनाएं।

रात 10 से सुबह 6 बजे तक सोने का सही समय है। इससे शरीर नाइट साइकिल में बेहतर आराम कर सकेगा।

तनाव लेने से बचें, इसका सीधा असर दिमाग और दिल पर होता है।

धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें

लगातार धूम्रपान करने से उसका धुआं धमनियों की लाइनिंग को कमजोर करता है।

इससे धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका और भी बढ़ जाती है।

इसी तरह अल्कोहल से दूरी बना लेते हैं तो हार्ट हेल्दी रहेगा।

कौन सा टेस्ट कराएं

30 साल की उम्र पार करते ही शुगर, लीवर, किडनी और ईसीजी जांच करानी चाहिए.

अगर आप जिम या वर्कआउट करते हैं तो अपना हार्ट और कार्डियक चेकअप जरूर कराएं.

40 साल की उम्र के बाद स्ट्रेस टेस्ट कराएं.

ट्रेडमिल टेस्ट (टीएमटी) भी जरूरी है.

स्मोकर्स, डायबिटिक और मोटापे के शिकार लोगों को स्ट्रेस टेस्ट कराना चाहिए.

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी मात्र सूचना के उद्देश्य से है न कि कोई डाक्टरी सलाह. सटीक जानकारी के लिए सम्बंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें.

 

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