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प्रादेशिक

हिमाचल : पशु तस्कर के हत्यारों की तलाश जारी

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शिमला| हिमाचल प्रदेश पुलिस ने शनिवार को उन ग्रामीणों की गिरफ्तारी के लिए अभियान तेज कर दिया, जिन्होंने दो दिन पहले सिरमौर जिले में कथित तौर पर एक पशु तस्कर की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के निवासी नोमान अख्तर की बुधवार को जिला मुख्यालय नाहन से 28 किलोमीटर दूर एक गांव में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। ग्रामीणों का मानना था कि अख्तर कथित तौर पर चार अन्य लोगों के साथ मिलकर पशुओं की तस्करी में लिप्त था

इस घटना में घायल हुए अख्तर के साथियों को जिले के सरहान में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस अधीक्षक सौम्या संबाशिवन ने आईएएनएस को बताया, “आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तलाशी अभियान जारी है।”

उन्होंने कहा कि हत्या का एक मामला दर्ज कर लिया गया है। “हम जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लेंगे। संभवत: ये वही लोग हैं, जिन्होंने पशु तस्करी के बारे में पुलिस को सतर्क किया था। उन्होंने ही नोमान की हत्या की है।”

पुलिस ने नोमान के साथियों गुलजार, गुलफाम, मोहम्मद निशू और सलमान के खिलाफ पशु क्रूरता निवारक अधिनियम और गोहत्या निवारक कानून के तहत मामला दर्ज किया है।

पुलिस अधिकारी ने इस घटना में किसी राजनीतिक दल की संलिप्तता के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा, “हम हमलावरों की राजनीतिक संबद्धता पर टिप्पणी नहीं कर सकते।”

उन्होंने कहा की नोमान पशु चोरी के एक अन्य मामले में आरोपी था। उसकी चिकित्सा रपट में उसके शरीर पर ढेर सारे चोट की पुष्टि हुई है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड से लगा सिरमौर जिला पंजाब और उत्तर प्रदेश से पशुओं की तस्करी के एक पारगमन मार्ग के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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