नेशनल
हरियाणा में 26 वरिष्ठ नौकरशाहों का तबादला
चंडीगढ़| हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने पहला बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए 26 वरिष्ठ नौकरशाहों का तबादला कर दिया है। एक प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के 14 और प्रधान सचिव रैंक के 12 नौकरशाहों का स्थानांतरण किया गया है।
पिछले महीने 26 तारीख को सत्ता में आने के बाद 15 दिनों में खट्टर सरकार द्वारा आदेशित नौकरशाहों का यह पहला बड़ा स्थानांतरण है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) राजन कुमार गुप्ता को वित्त विभाग से ऊर्जा एवं अक्षय ऊर्जा विभाग में भेज दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के एसीएस नवराज संधू को विकास एवं पंचायती राज सौंपा गया है। एसीएस रोशन लाल अब आबकारी, कराधान और खनन विभाग देखेंगे, जबकि एसीएस हरदीप कुमार सार्वजनिक कार्य विभाग संभालेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रह चुके एस.एस. ढिल्लन पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग के एसीएस और के.के. खंडेलवाल खेल विभाग में एसीएस होंगे। रामनिवास स्वास्थ्य के एसीएस होंगे। पी. रघुवेंद्र राव अब शहरी एवं ग्राम योजना, शहरी एस्टेट एवं आवास विभागों को संभालेंगे। हुड्डा कार्यकाल में इन विभागों को संभालने वाले एसीएस टी.सी. गुप्ता को विद्यालय शिक्षा का प्रधान सचिव बनाया गया है।
पी.के. महापात्र गृह विभाग के नए एसीएस होंगे। पी.के. दास वित्त विभाग के नए प्रधान सचिव और देवेंदर सिंह उद्योगों के नए प्रधान सचिव होंगे। खट्टर ने पहले संजीव कौशल को अपना प्रधान सचिव नियुक्त किया था। मुख्यमंत्री कार्यालय में दो अतिरिक्त सचिव सुमिता मिश्रा और राकेश गुप्ता को भी नियुक्त किया गया था।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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