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प्रादेशिक

सीमा परिक्षेत्र के आदान-प्रदान पर राज्य से परामर्श जरूरी : ममता

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नई दिल्ली| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि वह कूच बिहार जिले में बांग्लादेश के साथ सीमावर्ती परिक्षेत्रों के आदान-प्रदान के पक्ष में हैं, लेकिन केंद्र को कोई भी कदम उठाने से पहले राज्य सरकार से परामर्श जरूर करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक, किसी राज्य का वह इलाका जो दूसरे राज्य के क्षेत्र से चारों ओर से घिरा हुआ हो तो वह परिक्षेत्र (एनक्लेव) कहलाता है।

दोनों देशों में कुल 162 परिक्षेत्र हैं, जिनमें से 111 भारत में और 51 बांग्लादेश में। यह सभी परिक्षेत्र पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले में पड़ते हैं। यहां की कुल आबादी 51,000 से ज्यादा है। ममता ने कहा, “मैं कूच बिहार जिले में सीमा परिक्षेत्रों के आदान-प्रदान पर सहमत हूं। पर यह काम हमें सौहार्दपूर्वक करना होगा। सीमा परिक्षेत्रों पर कोई फैसला लेने से पहले केंद्र को राज्य सरकारों का विश्वास भी जीतना चाहिए।”

उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, “आपको पता होना चाहिए कि अगर सीमा परिक्षेत्रों का सफलतापूर्वक आदान प्रदान होता है तो पश्चिम बंगाल के ऊपर दबाव बढ़ जाएगा। यह विधिवत होना चाहिए और उनके लिए राहत पैकेज की व्यवस्था भी होनी चाहिए।” तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी नई दिल्ली में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के 125वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने आईं थीं।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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