Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

श्रीदेवी के चेहरे में अर्जुन को कभी नहीं दिखी अपनी मां

Published

on

Loading

मुम्बई। दिग्गज अभिनेत्री श्रीदेवी का दुबई में दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। वह 54 वर्ष की थीं। वह पारिवारिक समारोह में हिस्सा लेने दुबई गई थीं। श्रीदेवी के निधन की खबर की पुष्टि करते हुए उनके देवर संजय कपूर ने बताया, कि हां, यह सच है। हालांकि, संजय ने इस बारे में अधिक जानकारी नहीं दी। वह इस समय दुबई में हैं। श्रीदेवी पति बोनी कपूर और छोटी बेटी खुशी कपूर के साथ मोहित मारवाह की शादी में शिरकत करने दुबई गई थीं। बोनी कपूर के कुल चार बच्चे हैं।

sridevi and arjun kapoor के लिए इमेज परिणाम

दरअसल उनकी पहली पत्नी का नाम मोना शौरी है। इनसे उनके दो बच्चे हैं, उनमें अर्जुन कपूर और दूसरी अंशुला कपूर नाम है जबकि श्रीदेवी से उनके दो बच्चे हैं जाह्नवी कपूर और खुशी कपूर लेकिन अर्जुन कपूर कभी भी श्रीदेवी को अपनी मां नहीं मानते हैं। दरअसल यह रिश्ता कभी भी दुनिया की नजर में अटूट नहीं दिखा है। इस रिश्ते के कई मायनों में उलझा रहा है। अर्जुन ने एक बार खुलासा किया था कि श्रीदेवी को कभी अपनी मां के तौर पर स्वीकार नहीं किया है। इतना ही नहीं अर्जुन ने यहां तक कहा था कि वह श्रीदेवी और उनकी दोनों बेटियां उनके लिए कोई मायने नहीं रखतीं है। अब यह कयास लगाया जा रहा है कि श्रीदेवी की अचानक मौत होने के बाद क्या वह अपनी मां को कंधा देने के लिए तैयार होंगे।

संबंधित इमेज

श्रीदेवी को ‘मिस्टर इंडिया’, ‘सदमा’, ‘चालबाज’, ‘चांदनी’ जैसी कई बेहतरीन फिल्मों के लिए जाना जाता है। पद्मश्री से सम्मानित अभिनेत्री की आखिरी फिल्म 2017 में आई ‘मॉम’ थी। उनके निधन से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। कई दिग्गज हस्तियों ने श्रीदेवी के निधन पर शोक जताया है। अभिनेत्री निम्रत कौर ने ट्वीट कर कहा, कि श्रीदेवी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। काला एवं भयावह पल।

सुष्मिता सेन ने ट्वीट कर कहा, कि मैंने अभी दिल का दौरा पडऩे की वजह से श्रीदेवी मैम के निधन की खबर सुनी। मैं सदमे में हूं।  मधुर भंडारकर ने ट्वीट कर कहा, कि श्रीदेवी के निधन की खबर सुनी, अविश्वसनीय और दिल दुखाने वाला क्षण। भारतीय सिनेमा की प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में एक। भगवान उनके परिवार को शक्ति दे।  प्रियंका चोपड़ा ने ट्वीट कर कहा, कि मेरे पास शब्द नहीं हैं। श्रीदेवी को प्यार करने वालों के प्रति सहानुभूति। एक काला दिन। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

Published

on

Loading

सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

Continue Reading

Trending