आध्यात्म
श्रीकृष्ण अपने रूप पर स्वयं मुग्ध हो जाते हैं
करन चहत आलिंगन, आपुहिँ आपु निहार ।
जन-मन-मोहन ही नहीं, निज मन-मोहन हार ।।53 ।।
भावार्थ- श्रीकृष्ण का माधुर्य रस इतना विलक्षण है कि श्रीकृष्ण स्वयं अपने आप को देखकर मुग्ध हो जाते हैं एवं अपना ही आलिंगन करना चाहते हैं। अतः वे निज जन के ही मनमोहन नहीं हैं, वरन् अपने मन के भी मोहन हैं।
व्याख्या- श्रीकृष्ण का रूप माधुर्य इतना है कि उसे देखकर ब्रह्मादिक तो मोहित होते ही हैं, किंतु आश्चर्य यह है कि स्वयं विश्वविमोहन मोहन भी मोहित हो जाते हैं। यथा-
यस्य प्रेक्ष्य स्वरूप तां ब्रज वधू सारूप्य मन्विच्छति ।
अर्थात् एक बार मथुरा में गंधर्वों ने श्रीकृष्ण का रूप धारण कर अभिनय किया था। उस समय उनमें स्वरूप शक्ति का भी समावेश था। उस रूप माधुर्य को पान कर श्रीकृष्ण विभोर होकर यह कामना करने लगे कि काश कि मैं ब्रजगोपी बनकर इस रस का पान करता ।
भागवत में कहा है। यथा-
विस्मापनं स्वस्य च सौभगर्द्धेः परं पदं भूषणभूषणा ङ्गम् ।
(भाग.3-2-12)
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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