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शातिर चोरों ने सांसद मनोज तिवारी को लगाया चूना

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नई दिल्ली। दिल्ली में बदमाशों के हौसले बुलंद हैं। पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की कार चोरी हुई और अब दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी का आईफोन चोरी हो गया है। मामला रामलीला मैदान का है।

रविवार को चोरों ने रामलीला मैदान में आयोजित एक रैली में हिस्सा लेने गए भाजपा सांसद मनोज तिवारी का आईफोन चुरा लिया। इतना ही नहीं बदमाशों ने उनके पीए के पर्स और अन्य के जूते पर भी हाथ साफ कर दिया।

मनोज तिवारी ने दिल्ली पुलिस को रिपोर्ट दे दी है कि उनका मोबाइल फोन आईफोन सेवन प्लस उस वक्त खो गया जब वह रैली में शामिल हुए थे। मनोज तिवारी के अलावा उनके पीए का भी पर्स भी चोरी हुआ। इसके अलावा कुछ अन्य लोगों के भी पर्स चोरी होने की शिकायत दर्ज हुई है।

तिवारी को इसका आभास तब हुआ जब वह आरएसएस की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच द्वारा चीनी सामानों के खिलाफ आयोजित स्वदेशी महारैली से लौट रहे थे। फोन की कीमत लगभग 55 हजार रुपये है। बता दें कि इससे पहले 12 अक्टूबर को सीएम केजरीवाल की कार दिल्ली सचिवालय के पास से चोरी हो गई थी।

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सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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