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वर्तमान भारत जो कुछ है नेहरू के कारण : राष्ट्रपति

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नई दिल्ली| राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि भारत आज जो कुछ भी है जवाहरलाल नेहरू की परिकल्पना और राष्ट्र के प्रति उनके सम्पूर्ण समर्पण का परिणाम है। भारत के लिए नेहरू की सेवाएं अथाह हैं। उन्होंने कहा कि वह हमारे समय के सबसे महान व्यक्तित्वों में से एक थे। राष्ट्रपति ‘जवाहर लाल नेहरू और आधुनिक भारत का निर्माण’ विषय पर नई दिल्ली में 46वां जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल व्याख्यान दे रहे थे। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक भारत को कैसा दिखना चाहिए इस बारे में नेहरू की एक स्पष्ट दृष्टि थी और उन्होंने मजबूत स्तंभों की स्थापना से अपने सपनों को साकार किया। नेहरू की यही सोच युवा राष्ट्र का समर्थन करेगी।

मुखर्जी ने कहा कि यदि भारत आज एक जीवंत लोकतंत्र है तो इसकी वजह नेहरू द्वारा रखी गई मजबूत नींव है। यदि भारत क्रय शक्ति समानता के मामले में दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तो इसके पीछे नेहरू द्वारा स्थापित की गई बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और व्यवस्थित योजना प्रक्रिया के साथ-साथ उच्च शिक्षा के संस्थान शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि अगर भारत को आज दुनिया के तकनीकी रूप से उन्नत देशों के बीच गिना जाता है, तो इसकी वजह यह है कि नेहरू ने वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देते हुए देश भर में वैज्ञानिक अनुसंधान प्रयोगशालाओं की श्रृंखलाओं का निर्माण किया।  राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम जिस उभरती हुई अर्थव्यवस्था के दौर में है उसे यहां तक लाने में नेहरू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि नेहरू का जीवन और दर्शन, उनका संघर्ष और उनकी उपलब्धियां महाकाव्य से कम नहीं थे। लेकिन हमारे लिए उनकी सबसे कीमती विरासत लोगों की संप्रभुता में निहित राजनीति के प्रति उनकी गहरी लोकतांत्रिक भावना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अभी हाल ही में हुए 16वीं लोक सभा के चुनावों में जिस तरह से हमारे 83.4 करोड़ के 66.4 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया वह नेहरू के ही प्रयासों की पुष्टि करते हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड द्वारा इस व्याख्यान का आयोजन किया गया था।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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