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भोजपुरी समाज ने की भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता देने की मांग

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नई दिल्‍ली। भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग एक बार फिर बहुत जोर-शोर से उठाई गई है। अवसर था इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में भोजपुरी समाज दिल्‍ली द्वारा अंतरराष्‍ट्रीय मातृ भाषा दिवस मनाने के लिए आयोजित भोजपुरी हमार माँ मनन, मंथन और मंतव्‍य विषयक विचार गोष्‍ठी का।

भोजपुरी समाज दिल्ली , भोजपुरी को संवैधानिक मान्य ता, मनोज तिवारी, सांसद अश्विनी चौबे, भोजपुरी समाज दिल्लील के अध्य क्ष अजीत दुबे

भोजपुरी समाज दिल्ली

दिल्‍ली प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष मनोज तिवारी, सांसद अश्विनी चौबे एवं आर. के. सिन्‍हा, वरिष्‍ठ पत्रकार रामबहादुर राय तथा इंडिया न्‍यूज के प्रबंध संपादक यशवंत राणा की उपस्थिति में सम्‍पन्‍न इस कार्यक्रम में भोजपुरी की संवैधानिक मान्‍यता के मुद्दे पर खूब चर्चा हुई ।

भोजपुरी समाज ने दिल्‍ली में मनाया अंतरराष्‍ट्रीय मातृ भाषा दिवस

भोजपुरी समाज दिल्‍ली के अध्‍यक्ष अजीत दुबे ने अपने संबोधन में कहा कि 1000 साल पुरानी, 16 देशों  में फैली, 20 करोड़ से भी ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाने वाली और भारत में हिंदी के बाद दूसरी सबसे बड़ी भाषा भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संसद के पटल पर अब तक पाँच बार आश्वासन मिल चुका है

उन्‍होंने कहा कि 1969 से ले कर अब तक 18 प्राइवेट मेंबर बिल लोकसभा में पेश हो चुके हैं लेकिन भोजपुरी भाषी लोगों के साझा प्रयासों में कमी एवं सरकार की इच्छा शक्ति के अभाव के चलते 48 साल से मामला अटका हुआ है।

उन्‍होंने कहा कि भोजपुरी की संवैधानिक मान्‍यता की मांग के पीछे हिंदी को कमजोर करने जैसी कोई भावना निहित न‍हीं है, हिन्‍दी तो इससे और समृद्ध होगी। संवैधानिक मान्‍यता न मिलने की वजह से भोजपुरी अनेक सुविधाओं से वंचित है और उसे भी ये सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि वर्तमान सरकार जो कि भारतीय भाषाओं की पक्षधर है, भोजपुरी को संवैधानिक मान्‍यता जरूर प्रदान करेगी।

सांसद एवं दिल्‍ली प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि वे भोजपुरी की संवैधानिक मान्‍यता के मुद्दे पर पूरी तरह से समाज के साथ खड़े हैं और भोजपुरी को उसका हक और सम्‍मान जरूर मिलेगा।  भोजपुरी समाज दिल्ली , भोजपुरी को संवैधानिक मान्य ता, मनोज तिवारी, सांसद अश्विनी चौबे, भोजपुरी समाज दिल्ली के अध्यक्ष अजीत दुबे

सांसद आर. के. सिन्‍हा ने राजस्‍थानी, भोजपुरी तथा भोटी भाषाओं की संवैधानिक मान्‍यता के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने पर जोर दिया और आशा व्‍यक्‍त की कि इन भाषाओं को संवैधानिक मान्‍यता प्राप्‍त होनी चाहिए ।

सांसद अश्विनी चौबे, वरिष्‍ठ पत्रकार रामबहादुर राय तथा इंडिया न्‍यूज के प्रबंध संपादक यशवंत राणा ने भी भोजपुरी भाषा और संस्‍कृति पर प्रकाश डालते हुए भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की आवश्‍यकता पर जोर दिया।

कार्यक्रम के दौरान मनोज तिवारी ने देशभक्ति गीत भी प्रस्‍तुत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. संजीव कुमार तिवारी ने किया तथा धन्‍यवाद प्रस्‍ताव समाज के वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष प्रभुनाथ पाण्‍डेय ने दिया । समारोह में भोजपुरी समाज के महामंत्री एल. एस. प्रसाद, उपाध्‍यक्ष शिवाकांत मिश्र, लल्‍लन तिवारी, हरेन्‍द्र प्रताप सिंह, प्रदीप पाण्‍डेय, संयोजक विनयमणि त्रिपाठी, मंत्री श्रीकांत विद्यार्थी, सर्वेश तिवारी, संतोष ओझा, कोषाध्‍यक्ष रामनाथ राय, कार्यालय मंत्री देवकान्‍त पाण्‍डेय आदि सहित अनेक कवि, लेखक, वकील, अध्‍यापक, समाजसेवी, पत्रकार व अन्‍य बुद्धिजीवी उपस्थित थे ।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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