Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

नीतीश के हवाले जदयू के तरकश का ‘तीर’, खाली हाथ रह गए शरद

Published

on

Loading

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शरद यादव को बड़ा झटका दिया है। आयोग ने जेडीयू के चुनाव चिह्न तीर पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि चुनाव चिह्न ‘तीर’ पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू का हक है। यह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए राहत वाली खबर है।

चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव चिह्न आदेश के पैराग्राफ 15 के अनुसार नीतीश की अगुवाई वाले समूह को जनता दल यूनाइटेड की मान्यता दी जाती है। आयोग के अनुसार, “इस तरह नीतीश कुमार की अगुवाई वाले समूह को बिहार में मान्यता प्राप्त पार्टी के तौर पर चुनाव चिह्न ‘तीर’ के निशान का प्रयोग करने की इजाजत दी जाती है।”

बता दें कि मुख्यमंत्री और जनता दल-यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार द्वारा राष्ट्रीय जनता दल का साथ छोड़ जुलाई में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने के बाद जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने पार्टी में अलग गुट बना लिया था।

जदयू नेता औैर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि पार्टी के पक्ष में चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला दिया है और इस फैसले का गुजरात चुनाव पर बड़ा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सच्चाई की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि यह शरद यादव के साथ ही कांग्रेस की भी बड़ी हार है।

नीतीश की पार्टी को असली चुनाव चिह्न मिलने के बाद जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी खुशी जाहिर की। उन्होंने शरद यादव पर तंज करते हुए कहा कि सत्य की जीत हुई है। शरद ने अपने जिंदगी की सारी कमाई को गंवा दिया है। मैं शरद यादव से कहना चाहता हूं कि अपने सर पर अप लालटेन रख लें और लालू यादव और तेजस्वी की जय बोलते रहें।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

Published

on

Loading

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

Continue Reading

Trending