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आध्यात्म

नरक चतुर्दशी आज, जानिए कैसे करें यम की पूजा, मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न

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कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (छोटी दीपावली) को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। आज नरक चतुर्दशी को हनुमान, यमराज और लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना की तैयारी में श्रद्धालु जुट गए हैं। बजरंग बली का जन्म भी इसी दिन हुआ था।

दिवाली का त्योहार धनतेरस के पूजन से शुरू हो जाता है। दिवाली के एक दिन पहले छोटी दीवाली यानी कि नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है।

कैसे करें नरक चतुर्दशी पूजन
नरक चतुर्दशी पर सुबह तेल लगाकर चिचड़ी की पत्तियां (चिचड़ी- चमत्कारी पौधा) पानी में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। इस मौके पर ‘दरिद्रता जा लक्ष्मी आ’ कह घर की महिलाएं घर से गंदगी को घर से बाहर निकालती हैं।

यम की होती है पूजा
इस दिन को यम देव का दिन भी कहा जाता है और यमदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है ताकि वह प्रसन्न रहें। इससे भक्त या उसके आत्मीयों को दुर्घटना या अकाल मृत्यु का डर नही रहता है। चौदस के रोज तरह-तरह के उबटन लगाकर स्नान करते हैं और फिर यम देव को अंजुली में भरकर जल चढ़ाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति स्नान के बाद सुबह-सवेरे राधा-कृष्ण के मंदिर में जाकर दर्शन करता है तो उसके पापों का नाश होता है और रूप-सौन्दर्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि महाबली हनुमान का जन्म इसी दिन हुआ था इसीलिए बजरंगबली की भी विशेष पूजा की जाती है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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