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आध्यात्म

जेकेपी ने 5 हजार छात्र-छात्राओं में बांटे गर्म वस्त्र

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वृंदावन (मथुरा) शीतलहर और जाड़े की ठिठुरन को देखते हुए जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) की ओर से लगभग पांच हजार स्कूली छात्र-छात्राओं में गर्म वस्त्र बांटे गए। गुरुवार को श्रीधाम वृंदावन के प्रेम मंदिर में आयोजित भव्‍य कार्यक्रम में बच्चों में भोजन की एक-एक थाली और मिठाई भी वितरित की गई। उपहार स्‍वरूप इन दैनिक उपयोग की वस्‍तुएं पाकर बच्‍चों के चेहरे खुशी से खिल गए।

जेकेपी की तीनों अध्यक्ष विशाखा त्रिपाठीश्यामा त्रिपाठी और कृष्णा त्रिपाठी ने वृंदावन  के ग्रामीण बच्चों में गर्म जैकेट्स वितरित किए। इस अवसर पर बच्चों ने जगद्गुरु कृपालु महाराज और उनकी तीनों बेटियों को उनके दिए उपहारों के लिए बहुत–बहुत धन्यवाद दिया। उल्लेखनीय है कि जेकेपी समय-समय पर ग्रामीण बच्चों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उनमें उपयोगी वस्तुओं का वितरण किया करता है। जेकेपी का उद्देश्य क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में रह रहे बच्चों को शिक्षा उपलब्‍ध कराने के साथ-साथ अन्य दैनिक जरूरतें  पूरी करना भी हैंताकि उनका जीवन सुचारु रूप से चल सके।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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