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आध्यात्म

जेकेपी ने की 2500 गरीब बच्चों की मदद, ठंड से बचाने के लिए बांटे गर्म कपड़े

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भक्तिधाम (मनगढ़)। गरीबों और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए  जगद्गुरु कृपालु (जेकेपी) परिषद एक बार फिर आगे आया है। शनिवार को भक्तिधाम, मनगढ़ में आयोजित कार्यक्रम में गांव के करीब 25 सौ गरीब बच्‍चों में गर्म कपड़े बांटे गए।

ठिठुरन और बढ़ती ठंड को देखते हुए जगद्गुरु कृपालु परिषद की अध्यक्ष विशाखा त्रिपाठी, श्यामा त्रिपाठी और कृष्णा त्रिपाठी ने बच्‍चों को भक्तिधाम में निशुल्‍क गर्म वस्त्र वितरित किए। साथ ही बच्चों को भोजन की थाली देकर मिठाई भी खिलाई गई।

भक्तिधाम परिसर में उपहार स्‍वरूप गर्म कपड़े, थाली और मिठाई मिलने के बाद बच्‍चों के चेहरे खुशी से खिल गए। ये बच्चे बेहद निर्धन परिवारों से आये थे, जहाँ दो वक्त के भोजन की व्यवस्था करना भी टेढ़ी खीर है।

उल्‍लेखनीय है कि ऐसे निर्धन ग्रामीण और अभावग्रस्त परिवारों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जेकेपी की ओर से समय-समय पर अनेक प्रकार के वस्‍तु वितरण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। ऐसे वितरण कार्यक्रमों का उद्देश्य उनकी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करना है, ताकि बच्‍चों का जीवन सुचारु ढंग से चल सके।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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